पौधरोपण के नाम पर खानापूर्ति, कागजों में सिमटी हरियाली
कुशीनगर। धरती को हरा भरा करने के उद्देश्य से हर वर्ष लाखों की संख्या में पौधे रोपित किये जाते हैं। रखरखाव व उचित देखभाल के अभाव मे उनका अल्पायु में ही दम टूट जाता है फलतः वे धरा पर अपना अस्तित्व खो देते हैं जिससे हर साल सुखी धरा की गोद में सिर्फ और सिर्फ जलवायु परिवर्तन का भयावह रूप ही बचता है जो असामयिक गर्मी व बरसात का कारण बनता है।सरकारी मशीनरी ने पिछले एक दशक मे ही जितने पेड़ रोपित करने का कागजों मे दावा किया उनका दशांश भी यदि धरा पर अस्तित्व मे होता तो पर्यावरण असंतुलन की स्थिति नहीं होती। इस वर्ष भी विभाग द्वारा ग्रामसभाओ के माध्यम से लाखों पेड़ लगाने का दावा है लेकिन धरातल पर दशांश भी नही दिख रहे हैंवित्तीय बर्ष 2024 -25 में वन विभाग द्वारा नेबुआ नौरंगिया ब्लॉक में 1 लाख 27 हजार 4 सौ 55 पौधे करदह और खैरटिया शितलापुर पौधशाला से 77 ग्राम पंचायतों को मुहैया कराया गया कागजो में पौधारोपण के लिए तेज गति से गड्ढे तैयार किया गया लेकिन सवाल यह उठता है कि पौधारोपण के बाद इनमें से कितने पौधे अपना अस्तित्व बचा पाएंगे। ऐसी भी आशंका जताई जा रही है कि पिछले वर्षों की तरह इस बार भी पौधरोपण अभियान कहीं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़कर सिर्फ कागजों में सिमटकर तो नहीं रह जाएगा।नेबुआ नौरंगिया ब्लॉक में पिछले एक दशक में हुए पौधारोपण अभियान की स्थिति तो यही बयां कर रही है कि इसमें शासकीय धन की काफी बर्बादी हुई है, जबकि मौके से पौधे नदारद हैं। सुरक्षा इंतजामों के बगैर पौधरोपण कार्यक्रम महज औपचारिकता तक ही सीमित रह जाते हैं। देखा जाए तो गत वर्षों में पौधरोपण तो व्यापक स्तर पर हुए लेकिन पौधों की सुरक्षा के लिए आने वाले बजट का बंदरबांट हो गया। इससे अधिकांश पौधे समुचित देखरेख के अभाव में नष्ट हो गए। हर साल यही प्रक्रिया परंपरागत रूप से सतत चल रही है। वनविभाग द्वारा पौधारोपण किया जाता है, अधिकारी फोटो खिंचवाते हैं , और सोशल मीडिया पर डालकर वाहवाही लूटते हैं लेकिन फिर बाद में इन पौधों के रखरखाव पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है, जिससे पौधारोपण का औचित्य सार्थक सिद्ध नहीं हो पा रहा है। पौधरोपण के नाम पर होने वाली खानापूर्ति में बस सरकारी धन का दुरुपयोग ही हो रहा है।क्षेत्र के सिरसिया कला ,बसन्तपुर, पिपरपाती, बरगहा, जईछपरा, पकड़ियार, बिहारी छपरा, मेहदीया, खजुरी बाजार सहित दर्जनों गांवों में पौधरोपड़ की हकीकत धरातल पर देखने पर लक्ष्य के दशांश भी पौधे उच्च नही दिखे ।अब तो जांच के बाद भी पता चलेगा अधिकांश ग्रामपंचायतो में कागजो में लक्ष्य पूरा हुआ है या धरातल पर इस सम्बंध में खण्ड विकास अधिकारी ने.नौ.उषा पाल ने बताया कि पौधरोपड़ सरकार की महत्वपूर्ण योजना है धरातल पर जांच करवाकर कार्यवाई की जाएगी।
नसरुल्लाह अंसारी की रिपोर्ट