भारतीय ज्ञान परंपरा से ही साकार होगी आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना- डॉ.मृत्युंजय तिवारी ।

मिठौरा ।साथ मिलकर चलें साथ मिलकर बोलें सबके मन की भावनाओं को जाने तथा सभी अपने-अपने कार्य में संलग्न हों सभी सुखी हों सभी निरोग हो सभी का कल्याण हो तथा कभी कोई दुख का भागी न बने। यह है । हमारी भारतीय ज्ञान परंपरा जिसके माध्यम से हम संपूर्ण विश्व को अपना परिवार मानते हैं।भारतीय ज्ञान परंपरा के द्वारा वेद उपनिषद आरण्यक ग्रंथ ब्राह्मण ग्रंथ रामायण महाभारत पुराण नाट्यशास्त्र तथा अन्य शास्त्रों द्वारा सदैव विश्व को एक सूत्र में बांधने का प्रयास किया है। इस भारतीय ज्ञान परंपरा की ही देन है । कि हम कभी विश्व गुरु थे तथा शिक्षा एवं संस्कार में विश्व का नेतृत्व कर रहे थे। आज इस भारतीय ज्ञान परंपरा को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है ।क्योंकि यदि भारत को पुनः विश्व गुरु बनाना है तो भारतीय ज्ञान परंपरा के बिना यह परिकल्पना साकार नहीं हो सकती है।उक्त बातें दिग्विजय नाथ इंटरमीडिएट कॉलेज चौक बाजार द्वारा आयोजित तीसरे दिन के व्याख्यान में भारतीय ज्ञान परंपरा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के परिप्रेक्ष्य में विषय पर जवाहरलाल नेहरू पीजी कॉलेज के संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डॉ मृत्युंजय तिवारी ने कही। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा के द्वारा विश्व को शून्य प्राप्त हुआ साथ ही गति के नियम एवं रेखागणित की विधि तथा अन्य शास्त्रों के बारे में विशेष ज्ञान प्राप्त हुआ। आज पुनः इस ज्ञान परंपरा की आवश्यकता है जिससे हमारा देश सशक्त और समर्थ तथा समृद्ध होगा। भारतीय ज्ञान परंपरा से ही आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना साकार तथा जीवन दृष्टि प्राप्त होगी। कार्यक्रम के संयोजक डॉ राकेश कुमार तिवारी ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा राष्ट्रीय शिक्षा नीति की रीढ है। निश्चित ही इसके माध्यम से हम अपने गौरव को पुनः हासिल कर सकते हैं ।बीच में विदेशी आक्रांताओं ने हमारे ज्ञान परंपरा को धूल धूसरित करने का प्रयास किया लेकिन आज भी हमारी भारतीय ज्ञान परंपरा सूर्य के प्रकाश की तरह तथा गंगा के निर्मल धारा की तरह सदैव गतिमान है। कार्यक्रम में आभार प्रकट करते हुए विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. हरिन्द्र यादव ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा से पुनः देश विश्व गुरु की ओर अग्रसर है। कार्यक्रम का प्रारंभ युग पुरुष ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ जी महाराज एवं राष्ट्र संत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज तथा मां सरस्वती के चित्र के सम्मुख पुष्पांजलि एवं दीप प्रज्वलन से हुआ। छात्राओं द्वारा सरस्वती गीत तथा स्वागत गान किया गया। कार्यक्रम का कुशल संचालन आशुतोष कुमार तथा संयोजन अखिलेश कुमार मिश्र द्वारा किया गया। इस अवसर पर दिग्विजयनाथ बालिका इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्या सपना सिंह एवं संस्कृत प्रवक्ता अंजलि त्रिपाठी अक्षय कुमार अग्निहोत्री रोहित राव राजेंद्र पूर्णिमा दुर्गेश चतुर्वेदी मनोज कुमार के साथ छात्र-छात्रा उपस्थित रहे।