भगवान श्रीराम के वनगमन का प्रसंग अत्यंत प्रेरणादायक ।

महराजगंज । कोल्हुई थाना क्षेत्र के ग्राम मोगलहा स्थित काली माता मंदिर प्रांगण में श्री श्री सतचण्डी महायज्ञ एवं रामकथा का आयोजन किया जा रहा है। धार्मिक अनुष्ठान में श्रद्धालु बड़ी संख्या में शामिल हो रहे हैं और आध्यात्मिक माहौल में रामकथा का रसास्वादन कर रहे हैं। रामकथा का वाचन मात्र आठ वर्ष की कथा वाचिका सुश्री अनुष्का पाठक द्वारा रामगमन का कथा वाचन किया गया। सुश्री अनुष्का पाठक ने बताया कि रामायण के अरण्य कांड में भगवान श्रीराम के वनगमन का प्रसंग अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक है। यह प्रसंग त्याग, कर्तव्य, और धर्म के पालन की अद्वितीय मिसाल प्रस्तुत करता है।भगवान श्रीराम के वनगमन का निर्णय उनके जीवन के उच्च आदर्शों और मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में उनकी प्रतिष्ठा को प्रकट करता है। राजा दशरथ ने कैकेयी को दिए गए वरदान के पालन हेतु राम को 14 वर्षों के वनवास का आदेश दिया। श्रीराम ने पिता के वचन की मर्यादा रखते हुए, बिना किसी विरोध के वनवास स्वीकार किया। उनके इस निर्णय में कर्तव्यनिष्ठा, आज्ञाकारिता, और त्याग की पराकाष्ठा दिखाई देती है। वनगमन के समय श्रीराम के साथ माता सीता और भ्राता लक्ष्मण का भी वनवास जाना उनके प्रेम, समर्पण, और परिवार के प्रति उनकी निष्ठा को दर्शाता है। सीता जी का राजसी सुख छोड़कर पति के साथ वन में जाना स्त्री धर्म और पतिव्रता का उत्कृष्ट उदाहरण है। लक्ष्मण जी का भाई के प्रति अटूट प्रेम और सेवा भावना उन्हें आदर्श भ्राता के रूप में स्थापित करता है।
वनवास के दौरान श्रीराम ने अनेक ऋषि-मुनियों से भेंट की, जिनसे उन्हें धर्म, नीति, और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर ज्ञान प्राप्त हुआ। उन्होंने वन में निवास करने वाले जनजातियों और वनवासियों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित किए, जिससे सामाजिक समरसता और समानता का संदेश मिलता है।
वनवास की अवधि में श्रीराम ने अनेक कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उन्होंने धैर्य, संयम, और साहस का परिचय दिया। यह हमें सिखाता है कि जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना धैर्य और साहस से करना चाहिए।
श्रीराम के वनगमन का प्रसंग हमें यह भी सिखाता है कि सच्चा सुख बाहरी वस्तुओं में नहीं, बल्कि आंतरिक शांति और संतोष में है। उन्होंने राजसी वैभव को त्यागकर वन में साधारण जीवन व्यतीत किया, लेकिन उनकी आंतरिक शांति और संतोष अडिग रहे।
अंततः, रामवनगमन का प्रसंग हमें जीवन में कर्तव्य, त्याग, समर्पण, और धैर्य के महत्व को समझाता है। यह हमें सिखाता है कि धर्म और मर्यादा का पालन करते हुए, जीवन की चुनौतियों का सामना कैसे किया जाए। श्रीराम का जीवन और उनके वनगमन का प्रसंग आज भी हमें प्रेरित करता है और हमारे जीवन में सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
इस प्रकार, रामवनगमन का प्रसंग न केवल एक ऐतिहासिक घटना है, बल्कि यह हमारे जीवन के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत भी है, जो हमें सच्चे अर्थों में मानवता, धर्म, और कर्तव्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
महायज्ञ और कथा आयोजन को सफल बनाने में ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि संतोष पांडेय, अरविंद सिंह, संजय सिंह, इंदल निषाद, राजमन, विजय शंकर, उमाशंकर, सुरेश निषाद, अनूप पांडेय, सुरेंद्र राजभर, बलराम चौधरी सहित अनेक समाजसेवियों का महत्वपूर्ण सहयोग मिल रहा है।