सीखना जीवन की सबसे बड़ी कला-भानु प्रताप ।
मिठौरा ।व्यक्ति जीवन पर्यंत कुछ न कुछ सीखता रहता है। सीखने रहने से ही उसमें सदैव जीवन्तता आती है। यदि व्यक्ति ने सीखना छोड़ दिया तो समझिए उसके जीवन में हताशा और निराशा के सिवा कुछ और नहीं प्राप्त हो सकता है। सीखने के लिए कठिन परिश्रम तथा निरन्तरता की आवश्यकता होती है। व्यक्ति किसी भी कार्य को सीखता है तो उसमें कठिनाइयां आती हैं। और उस कठिनाइयों का निवारण भी उसी से प्राप्त होता है। उक्त बातें दिग्विजयनाथ इंटरमीडिएट कॉलेज चौक बाजार में आयोजित सप्त दिवसीय समर कैंप में बतौर ईमेल प्रशिक्षक भानु प्रताप प्रजापति ने कही ।उन्होंने कहा कि जीवन में सीखना सबसे बड़ी कला है ।जब कभी भी व्यक्ति सीखना आरंभ कर दे वहीं से उसके जीवन की शुरुआत हो जाती है ।बताते चले की समर कैंप के पांचवे दिन का प्रारंभ योगासन व ध्यान से हुआ। तत्पश्चात् छात्राओं ने मेहंदी कला का प्रशिक्षण लिया साथ ही प्रशिक्षक बब्बी कुमार द्वारा कबड्डी का भी प्रशिक्षण दिया गया। इसके पश्चात् ताइक्वांडो प्रशिक्षक कन्हैया शर्मा ने छात्राओं को सुरक्षा के उपाय हेतु कई प्रकार के अचूक अस्त्र बताएं। इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. हरिन्द्र यादव ने कहा कि इस प्रशिक्षण से छात्र-छात्राओं का सर्वांगीण विकास हो रहा है। इस सात दिनों में अनवरत रूप से सीखे गए कला को जीवन में अपनाना होगा। जिससे उनको एक नये अनुभव की प्राप्ति होगी। कार्यक्रम में बृजेश कुमार वर्मा राजेंद्र राव गोरख प्रसाद रोहित राव मनोज कुमार दुर्गेश कुमार चतुर्वेदी पूर्णिमा पटेल लीलावती ध्रुव जायसवाल सहित कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।