छठ घाटों पर उमड़ा भक्तो का जन सैलाब जगह जगह पुलिस प्रशासन तैनात।

नौतनवा ।खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद से व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो चुका है रविवार शाम को व्रती बांस से बने दउरा में ठेकुआ, ईख, फल समेत अन्य प्रसाद लेकर नौतनवा कस्बे के डॉ० राम मनोहर लोहिया डिग्री कॉलेज के पोखरे पर बने छठ घाट,दोमुहाना नदी पर बने छठ घाट,भुंडी मुहल्ले के पोखरे पर बने छठ घाट सहित अन्य जलाशयों में जाकर शाम के समय डूबते हुए सूर्य को वर्ती महिलाओं अर्घ्य दिया | मान्यता है कि सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्यता, सौभाग्य व संतान के लिए किया जाता है. मानसिक शांति व जीवन में उन्नति होती है। केवल छठ में ही अस्ताचलगामी यानी डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का प्रावधान है. ऐसी मान्यता है कि सायंकाल में सूर्यदेव और उनकी पत्नी देवी प्रत्युषा की भी उपासना की जाती है. जल में खड़े होकर सूप में फल, ठेकुआ रख कर अर्घ्य देने की परंपरा है।इस पर्व की शुरुआत नहाय खाय के साथ होती है. इसके बाद खरना, अर्घ्य के बाद उगते हुए सूर्य पारण किया जाता है. इसमें विशेष तौर पर सूर्य देवता और षष्ठी देवी छठ माता की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इनकी पूजा से संतान प्राप्ति, संतान की रक्षा और सुख समृद्धि का वरदान मिलता है। चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व मुख्य तौर पर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। छठ घाटों पर पुलिस प्रशासन की कड़ी सुरक्षा लगाई गई है।