महराजगंजउत्तर प्रदेश

किशोरावस्था में स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना जरूरी।

महराजगंज।लक्ष्मीपुर स्वामी विवेकानंद इण्टर कालेज धुसवा कला लक्ष्मीपुर में बृहस्पतिवार को किशोर स्वास्थ्य मंच का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बच्चों को किशोर स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के बारे में जानकारी दी गई। प्लान इंडिया और स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में डॉ मनीष सिंह ने कुपोषण, एनीमिया, माहवारी और उनमें होने बाले शारीरिक व मानसिक बदलाव के बारे में बच्चों को जागरूक किया गया।किशोर स्वास्थ्य काउंसलर पूजा सिंह ने किशोरियों के स्वास्थ्य का खयाल रखने के टिप्स बताए । उन्होंने कहा कि एनीमिया एक प्रमुख जन स्वास्थ्य समस्या है। जिसका मुख्य कारण अल्प पोषण तथा खान-पान में कमी होना है।उन्होंने कहा कि सांस फूलना , जल्दी थक जाना, भूख न लगना, चक्कर आना व महावारी में परेशानी होना एनीमिया के लक्षण है। यदि किसी किशोरी को इस प्रकार की समस्या आ रही है। तो उसे अपने पास के स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर अपना परीक्षण कराना चाहिए। किशोरावस्था में निरंतर शारीरिक व मानसिक बदलाव होते है इसलिए इस दौरान किशोरियों को खान पान का उचित ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज की किशोरी कल किसी के घर की रौनक बनेगी, अगर एक किशोरी अस्वस्थ रहेगी तो बेहतर कल का निर्माण नही हो पाएगा। इसलिए माता पिता का दायित्व बनता है। कि किशोरियों के पोषण का सर्बाधिक ध्यान रखें। बालिकाओं को माहवारी के दौरान स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने की हिदायत दी गई। किशोर स्वास्थ्य काउंसलर पूजा ने कहा कि पीरियड्स एक ऐसी प्रक्रिया जिसके बारे में जानते हुए भी इसे छुपाया जाता है। इसके बारे में बात करने से हिचकिचाया जाता है। जबकि पीरियड्स के बारे में खुलकर बात करने की जरूरत है। खासकर तब जब किशोरियों में इस प्रक्रिया की शुरुआत हो। आजकल कई कारणों से बच्चियों में पीरियड्स के आने की उम्र पीछे खिसक कर 10-11 वर्ष तक आ गई है। पहले यह उम्र 13- 16 वर्ष तक भी हुआ करती थी। जाहिर है कि कम उम्र में पीरियड्स का आना बच्चियों के सामान्य रूटीन में हलचल तो पैदा करता है। कम उम्र में यह बच्चियों को बंधन जैसा भी लग सकता है। उसपर दर्द, असहजता, मूड स्विंग्स आदि और परेशानी पैदा कर सकते हैं लेकिन यही वह महत्वपूर्ण समय होता है जब उनको हेल्थ, फिटनेस और आने वाले समय के लिए मजबूत शरीर तैयार करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। कई स्थितियां हैं जो पहली बार पीरियड्स शुरू होने के बाद बनती हैं और जिनके बारे में सही जानकारी किशोरियों तक पहुंचानी आवश्यक हैं। यह जानकारी उन्हें उनकी माँ, टीचर, बड़ी बहन या घर की कोई भी महिला दे सकती है। इस मौके पर बालिकाओं ने मेहंदी डिजाइन कर लोगों को माहवारी की जानकारी के प्रति जागरूक किया।इस अवसर पर सुरेन्द गुप्ता, सोनिया, वकील, स्नेहा आदि उपस्थित रहे।

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