पांच साल तक साल में एक बार जरूर खाएं फाइलेरिया से बचाव की दवा-एसीएमओ
हाथीपाँव मरीजों को एमएमडीपी किट देकर बताया गया व्यायाम का तरीका

कुशीनगर।स्वास्थ्य विभाग तथा स्वयं सेवी संस्था के तत्वावधान में दुदही क्षेत्र के ग्राम पंचायत बांसगाव के जटवलिया टोले पर स्थित विवाह भवन में फाइलेरिया जागरूकताकार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के दौरान फाइलेरिया पेशेंट सपोर्ट ग्रुप ( पीएसजी) से जुड़े हाथीपांव के एक दर्जन मरीजों को मार्बिडिटी मैनेजमेंट एंड डिसएबलिटी प्रीवेंशन ( एमएमडीपी) किट वितरित किया गया। मौके पर ही ग्रुप के सदस्यों को बीमारी के प्रबंधन और व्यायाम का प्रशिक्षण दिया गया।इस अवसर पर वीबीडी कंट्रोल प्रोग्राम के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डाॅ. आरके गुप्ता ने कहा कि फाइलेरिया से बचने के लिए सभी लोग पांच साल तक लगातार साल में एक बार फाइलेरिया से बचाव की दवा जरूर खाएं। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया एक परजीवी रोग है,जो बुचेरिया ब्रोन्कफटाई एवं बी.मलाई के कारण होता है। जब क्यूलेक्स ग्रुप की मादा मच्छर फाइलेरिया ग्रस्त व्यक्ति का रक्त चूसने के बाद किसी स्वस्थ मनुष्य का रक्त चूसती है तो उस व्यक्ति में भी इस रोग का संक्रमण हो जाता है। यह रोग शरीर के किसी भी भाग में सूजन, डाइड्रोसील तथा हांथीपाव ( लिम्फोडिमा) के रूप में प्रकट होता है।दुदही सीएचसी के अधीक्षक डाॅ.अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि फाइलेरिया व्यक्ति को कमजोर और अपाहिज करने वाली बीमारी है। फाइलेरिया शरीर के लटके हुए अंगों जैसे पैर, हाथ, अंडकोष और स्तन को प्रभावित करता है। व्यक्ति में मच्छर के काटने से संक्रमित होने के बाद बीमारी के लक्षण प्रकट होने में पांच से पन्द्रह साल लग जाते हैं। यह बीमारी ज्यादातर बचपन में लोगों को प्रभावित करती है।एक बार यदि फाइलेरिया हो जाए तो इसका कोई इलाज संभव नहीं हैं। लेकिन इससे बचाव किया जा सकता है। संक्रमण से प्रभावित होने से बचाने के लिए फाइलेरिया रोधी दवा उपलब्ध है। फाइलेरिया रोधी दवा सरकार द्वारा सर्वजन दवा सेवन ( एमडीए) के दौरान वर्ष में एक बार प्रत्येक व्यक्ति को आशा, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के माध्यम से दी जाती है। दवा खिलाने के लिए आशा व स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाते हैं। गर्भवती, दो साल से कम उम्र के बच्चों और गंभीर रूप से बीमार रोगियों को छोड़कर सभी को इस दवा का सेवन करना चाहिए।डाॅ. सिंह ने कहा कि फाइलेरिया रोधी दवा खाली पेट न खाएं , इसे खाना खाने के बाद खाएं। दवा का सेवन करना पूरी तरह से सुरक्षित है। दवा लेने के बाद कुछ लोगों को मतली, उल्टी, बुखार, खुजली, सिरदर्द जैसे दुष्प्रभावों का अनुभव हो सकता है, लेकिन यह दुष्प्रभाव सामान्य रूप से कुछ घंटों में ठीक हो जाते है। यह आमतौर पर उन लोगों को होते हैं जिनको माइक्रोफाइलेरिया का संक्रमण हैं। आगामी 10 अगस्त से 28 अगस्त तक आशा व अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर घर जाकर दवा खिलाएंगे।एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम के प्रतिनिधि मनोज राय ने एमएमडीपी किट का प्रयोग करने के लिए डेमो करके दिखाया। उन्होंने यह भी बताया कि एमएमडीपी किट के इस्तेमाल से फाइलेरिया मरीज को आराम मिलता है। फाइलेरिया ग्रसित मरीजों से अपील है कि वह लोग अपने क्षेत्र के लोगों को जागरूक करें। अपने आस-पास गंदगी और जल भराव न होने दें। मच्छरदानी का प्रयोग करें। पूरी बांह के कमीज और मोजे पहनें।कार्यक्रम में पीएसजी के 12 मरीजों को एमएमडीपी किट वितरित किया गया। इस अवसर पर मलेरिया निरीक्षक अंकिता राघवेन्द्र और पाथ संस्था के प्रशांत गुप्ता प्रमुख तौर पर मौजूद रहे है।
—मिली सामग्री:
चार साल से फाइलेरिया पीड़ित मरीज माधुरी ( 35) ने बताया कि बाल्टी, जग, टब, दवा, तौलिया आदि सामान मिला है। पैर धोकर पोछने और दवा के सेवन की जानकारी मिली। व्यायाम का तरीका दिखाने के साथ यह भी बताया गया कि घर के आसपास साफ सफाई रखनी है। मच्छरदानी का प्रयोग करना है।