अमृत सरोवर योजना के तहत तालाबो के सौंदर्यीकरण में हो रहा सरकारी धन का गबन।
मनरेगा ऑनलाइन हाजिरी महज दिखावा हो रहा साबित।

आशुतोष की रिपोर्ट
परसामलिक।आजादी के अमृत महोत्सव एवं जल संरक्षण की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए शासन के निर्देश पर महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत जनपद के प्रत्येक गांवों में एक-एक तालाब का सौंदर्यीकरण कर अमृत सरोवर के रूप में विकसित किया जा रहा है। इससे भूगर्भ जल में उछाल के साथ पशु-पक्षियों के लिए पेयजल संकट भी दूर होगा और श्रमिकों को गांव में ही आसानी से रोजगार सुलभ होगा। वही नौतनवा विकास खंड अंतर्गत कई ग्राम पंचायतों में प्रधान, सचिव व रोजगार सेवक की मिलीभगत से जल संरक्षण के लिए चलाई जा रही सरकार की महत्वाकांक्षी अमृत सरोवर योजना विभागीय उदासीनता के चलते भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है।ग्रामप्रधान व रोजगार सेवक की मिली भगत में अमृत सरोवर योजना के तहत हो रहे तालाब के सौंदर्यीकरण में सरकारी धन का खूब बंदरबाट किया जा रहा है। कार्यस्थल पर जारी मस्टररोल के सापेक्ष कम मजदूर लगा अधिक लोगो की ऑनलाइन हाजिरी लगाई जा रही है।प्रत्येक गांवो में कुछ ऐसे मनरेगा मजदूर है जो घर बैठे कागजी कार्यवाही में कार्यस्थल पर काम करते है। कार्य पूर्ण होने पर ग्रामप्रधान और रोजगार सेवक बैंक से बिना काम पर गये मजदूरों के खातों में भेजे गए मनरेगा मजदूरी का पैसा निकलवाकर प्रलोभन राशि देकर शेष पैसा ले लेते है। जिसकी भनक अन्य किसी को कानों-कान नही लग पाती। वही कई जगहों पर मनरेगा कार्यों पर लगाया जाने वाला सिटिजन इन्फार्मेशन बोर्ड जिम्मेदारों की लापरवाही की वजह से नदारद है। अब देखना यह लाजिमी होगा की नवागत तेज तर्रार बीडीओ डॉ. शुशांत सिंह द्वारा अमृत सरोवर योजना में हो रही धांधली में संलिप्त कर्मियों व जनप्रतिनिधियों पर कब कार्यवाही की जाती है।