कुशीनगर

कुष्ठ से ठीक होने के बाद दूसरों के बने मददगार।

कुष्ठ चैंपियन बन अभिमन्यु अन्य रोगियों को दिखा रहे इलाज की राह

कुशीनगर ।कुष्ठ से ठीक होने के बाद अभिमन्यु (22) दूसरे कुष्ठ रोगियों के मददगार बन गए हैं। अब वह कुष्ठ चैंपियन बन कर कुष्ठ रोगियों को इलाज की राह दिखाने से लेकर पेंशन भी दिलाने में सहयोग करते हैं। अब तक उनके द्वारा करीब एक दर्जन कुष्ठ रोगियों को इलाज कराने में सहयोग प्रदान किया गया है।अभिमन्यु बताते हैं कि वर्ष 2006 में उनकेे बायें हाथ में गोल गोल धब्बा बनने लगा। परिवार के लोग दाद की दवा करा रहे थे। उनके नाना गोरखपुर में रहते थे, जहां उन्होंने एक निजी चिकित्सक से दवा कराया। करीब चार साल तक दवा चली, लेकिन फायदा नहीं हो रहा था, धीरे-धीरे अंगुलियां भी टेढ़ी होने लगी। फायदा न होने की वजह से वर्ष 2009 में दवा बंद कर दी गयी।

वर्ष 2017 में कुष्ठ रोग विभाग के नान मेडिकल सुपरवाइजर रमेश प्रसाद त्रिपाठी जी ने धब्बा देखकर सरकारी अस्पताल से दवा कराने की सलाह दी, लेकिन उनकी बातों पर यह सोचकर ध्यान नहीं दिया कि जब गोरखपुर में दवा करा कर नहीं ठीक हुए तो सरकारी अस्पताल से कितना लाभ होगा?
एनएमएस के बार-बार कहने पर इलाज कराने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सुकरौली गया। वहां वर्ष 2018 में दवा शुरू हुई तो छह माह दवा खाने के बाद ठीक हो गए। रमेश प्रसाद त्रिपाठी ने उनकी दिव्यांगता प्रमाण पत्र भी बनवा दिया, जिससे तीन हजार रुपये प्रति माह पेंशन भी मिलने लगा है।
अभिमन्यु ने बताया कि इसके बाद उन्होंने खुद भी कुष्ठ रोगियों के मदद की ठानी। उनका कहना है कि वह संभावित कुष्ठ रोगियों का इस लिए मददगार बने हैं कि जिन दिक्कतों का सामना उन्होंने किया वैसी दिक्कत अन्य किसी के सामने न आए। यही सोच कर कुष्ठ रोग के संभावित मरीजों को सरकारी अस्पताल से इलाज की राह दिखाते हैं और दिव्यांग कुष्ठ रोगियों को पेंशन दिलाने में मदद करते हैं।
एनएमएस रमेश प्रसाद त्रिपाठी ने बताया कि अभिमन्यु वर्तमान में चाट बेचते हैं। एनएमएस रास्ते से गुजर रहे थे तो देखा कि अभिमन्यु के हाथ की अंगूली में थोड़ी से दिक्कत है। यह देखकर रूके और सरकारी अस्पताल पर इलाज कराने की सलाह दी।
बात मानकर अभिमन्यु ने इलाज शुरू कराया। अप्रैल 2018 से सितम्बर 2018 तक उनकी दवा चली। अब वह ठीक हो चुके है। इन दिनों अभिमन्यु कुष्ठ चैंपियन बन कर कुष्ठ रोगियों की इलाज से लेकर पेंशन दिलाने में मदद करते हैं ।
सुकरौली क्षेत्र के सुभाष (65) ने बताया की उनके शरीर पर कुष्ठ के लक्षण देखकर अभिमन्यु ने सरकारी अस्पताल पर जांच और इलाज की सलाह दी। उनकी बात मानकर साल भर पहले इलाज शुरू कराया। छह माह दवा चली। अब वह ठीक हैं । कुष्ठ दिव्यांगता का प्रमाण पत्र बनवा कर पेंशन भी दिलाने में मदद की है।
जिला कुष्ठ परामर्शदाता डाॅ.विनोद कुमार मिश्रा ने बताया कि कुष्ठ रोग एक दीर्घ कालीन ( पुराना) संक्रामक रोग है। इसमें त्वचा पर हल्के रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। रोग की शुरुआत बहुत ही धीमी गति से होती है। कुष्ठ रोग बैक्टीरिया ( माइक्रोबैक्टिरियम लेप्रे) के कारण होता है।
उन्होंने कहा कि अभी भी समाज में कुष्ठ रोग के प्रति गलत धारणाएं व्याप्त है, जिससे मरीज इस रोग को छुपाते हैं। सिर्फ किसी को छूने या हाथ मिलाने से कुष्ठ का प्रसार नहीं होता है।


कुष्ठ रोग के लक्षण
-चमड़ी बदरंग और चमड़ी में मोटापन हो।
-चमड़ी का दाग जिसमें सुन्नापन हो।
-दाग चकत्ता जिसमें पसीना न आता हो।
-हाथ पैर की नसों में मोटापन, सूजन तथा झनझनाहट हो।
-हाथ पैर की अंगूली में टेढ़ापन हो।
-हाथ तथा पैर के तलवों में सुन्नपन हो।
-घाव जो इलाज के बाद ठीक न होता हो।
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वर्षवार कुष्ठ रोगियों की संख्या
वर्ष————कुष्ठ रोगी
2020-21——222
2021-22—–202
2022-23—–231

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