सुदामा के पास कृष्ण नाम का धन था,पं श्याम जी उपाध्याय ।
महराजगंज । लक्ष्मीपुर ग्राम अमवा मे आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन रविवार को श्रीमद्भागवत का रसपान पाने के लिए भक्तों का सैलाब कथा स्थल पर उमड़ पड़ा।कथावाचक पं. श्यामजी उपाध्याय महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा का समापन करते हुए कई कथाओं का भक्तों को श्रवण करवाया, जिसमें प्रभु कृष्ण के 16108 कन्यों से विवाह के प्रसंग के साथ, सुदामा प्रसंग और राजा परीक्षित मोक्ष की कथाएं सुनाई। उन्होंने बताया सुदामा जी के पास कृष्ण नाम का धन था। संसार की दृष्टि में गरीब तो थे, लेकिन दरिद्र नहीं थे। अपने जीवन में किसी से कुछ मांगा नहीं। पत्नी सुशीला के बार-बार कहने पर सुदामा अपने मित्र कृष्ण से मिलने गए। भगवान के पास जाकर भी कुछ नहीं मांगा। सुदामा, कृष्ण के मित्र थे. सुदामा की पत्नी सुशीला बार-बार कहती थीं कि सुदामा को कृष्ण से मिलना चाहिए. सुदामा, कृष्ण से मिलने द्वारका पहुंचते हैं. कृष्ण, सुदामा को देखकर नंगे पैर दौड़कर आते हैं । और अपने मित्र को गले से लगा लेते हैं. कृष्ण, सुदामा को सिंहासन पर बिठाकर उनके चरण धोते हैं और सभी पटरानियां सुदामा से आशीर्वाद लेती हैं. सुदामा, विदा लेकर अपने घर लौटते हैं । और भगवान कृष्ण की कृपा से अपने घर महल बना पाते हैं।भगवान अपने स्तर से सब कुछ दे देते हैं।शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को सात दिन तक श्रीमद्भागवत कथा सुनाई।इस कथा से राजा परीक्षित के मन से मृत्यु का भय निकल गया।तक्षक नाग आकर राजा परीक्षित को डस लेता है। कथा सुनने के कारण राजा परीक्षित भगवान के परमधाम को पहुंच जाते हैं।इस दौरान आयोजक आयोजक दिनेश शुक्ला,सतीश शुक्ला,रवीश शुक्ला, सहित दर्जनो लोग शामिल रहे।