निक्षय मित्र रमेश प्रसाद त्रिपाठी कर रहे टीबी मरीजों का सहयोग।
कुशीनगर ।जनपद में संक्रामक बीमारियों के उन्मूलन के लिए सरकार के प्रयास को अब आम जनता का साथ मिल रहा है। सुकरौली क्षेत्र के रमेश प्रसाद त्रिपाठी निक्षय मित्र के रूप में न सिर्फ टीबी मरीजों को स्वस्थ बनाने में योगदान दे रहे हैं बल्कि कुष्ठ रोग के मरीजों की भी मदद कर रहे हैं। वे टीबी मरीजों को हर माह पोषण पोटली के साथ मानसिक संबल प्रदान करते हैं।कुष्ठ रोगियों को कम्बल बांटकर उनकी मदद भी करते हैं। एक तरफ जहां कुछ लोग कुष्ठ एवं टीबी जैसी संक्रामक बीमारी से पीड़ित मरीजों के साथ भेदभाव और तरह-तरह की भ्रांतियाँ रखते हैं, वहीं इनकी मदद के लिए आगे आकर रमेश ने एक मिसाल पेश की है।कुष्ठ विभाग में नान मेडिकल सुपरवाइजर (एनएमएस) के पद पर तैनात 57 वर्षीय रमेश अब तक चार बार में छह मरीजों को गोद ले चुके हैं। उनकी मदद से एक टीबी मरीज स्वस्थ हो चुका है, और पांच उपचाराधीन हैं। वह बताते हैं कि अक्टूबर 2022 में निक्षय मित्र योजना के बारे में वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक ( एसटीएस) राकेश कुमार सोनकर से जानकारी मिली।उन्होंने गरीब टीबी मरीजों को गोद लेने की इच्छा जताई, तो अक्टूबर 2022 माह में एक मरीज को गोद लिया। उसके बाद तीन बार में पांच अन्य मरीजों को गोद लिया। रमेश गोद ले चुके मरीजों से हर महीने मुलाकात करते हैं और उन्हें पोषक सामग्री जैसे दाल , चना, मूंगफली, गुड़, च्यवनप्राश आदि देते हैं। इलाज, दवा, पोषण पोटली, मानसिक संबल और सरकारी प्रावधानों का लाभ पाकर एक मरीज स्वस्थ हो चुका है।रमेश का मानना है – सामग्री देने से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि मरीजों से बातचीत कर उनके मन में यह भाव पैदा किया जाए कि टीबी से स्वस्थ होने के प्रयास में उनके साथ स्वास्थ्य प्रणाली और निक्षय मित्र भी हैंवह कहते हैं कि उनकी पुरानी पीढियां भी जड़ी बूटी की दवा बना कर लोगों की सेवा करते थे, उन्हीं से प्रेरणा लेकर वर्ष 2018 से वह लगातार हर साल दो अक्टूबर (गांधी जयंती) तथा 30 जनवरी को 30-35 कुष्ठ रोगियों को कंबल और गमछा वितरित करते हैं।देवतहा सीएचसी के एसटीएस राकेश कुमार सोनकर की प्रेरणा से अक्टूबर 2022 से टीबी रोगियों को गोद लेना शुरू कर किया। वह इन मरीजों से उनके घर जाकर तथा फोन करके हाल चाल लेते हैं और भरोसा देते हैं कि नियमित दवा और पौष्टिक आहार लेते रहने से बीमारी ठीक हो जाएगी।सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र देवतहा के वरिष्ठ पर्यवेक्षक राकेश कुमार सोनकर बताते हैं कि रमेश द्वारा गोद लिए गए 14 से 32 आयु वर्ग के सभी मरीज आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग से आते हैं और उन्हें पोषण के साथ मानसिक सहयोग की आवश्यकता थी।
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मदद को अहम मानते हैं लाभार्थी
रमेश द्वारा गोद लिए गए सुकरौली क्षेत्र के 14 वर्षीय किशोर की मां ने बताया – जुलाई 2022 में उनके बेटे की तबीयत खराब हुई, तो सुकरौली से लेकर गोरखपुर तक इलाज कराया। इलाज में करीब 20 हजार रूपये खर्च हो गए। कुछ लोगों ने सरकारी अस्पताल पर जाकर ठीक से जांच कराकर इलाज कराने की सलाह दी।अक्टूबर 2022 में देवतहा सीएचसी पर बलगम और एक्सरे की जांच करायी पता चला कि टीबी है। गरीबी की वजह से काफी सोच में पड़ गयी। जब सुकरौली अस्पताल के रमेश प्रसाद त्रिपाठी उनके घर आकर पोषण पोटली देकर हालचाल पूछा तो लगा कि बेटे के बीमारी के साथ वह अकेले नहीं है। इलाज के दौरान चार-पांच बार पोषण पोटली मिली। अप्रैल 2023 में उनका पुत्र स्वस्थ हो गया।