महराजगंजउत्तर प्रदेश
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सदाबहार स्टेडियम बना युवाओं के सपनों की मंजिल, सैकड़ों युवाओं ने बनाई फौज तक पहुंच ।

महराजगंज । जनपद के सदर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाला ग्राम बेलवा काज़ी आज जिले ही नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र में एक मिसाल बन चुका है। यहां का मैदान जिसे स्थानीय लोग “सदाबहार स्टेडियम” के नाम से जानते हैं, युवाओं के लिए प्रेरणा का केंद्र बन गया है। इस मैदान में हर सुबह और शाम सैकड़ों युवा दौड़ लगाते हुए अपने सपनों को साकार करने की तैयारी में जुटे रहते हैं। इस स्टेडियम का निर्माण वर्ष 2013 में किया गया था, जब गांव के कुछ उत्साही युवाओं ने अपनी मेहनत और सामूहिक सहयोग से इस मैदान को तैयार किया। इनमें स्वर्गीय अवधेश सक्सेना, अमरनाथ कांडू, गोपाल साहनी, संतोष साहनी एवं अन्य तमाम धावक युवाओं का योगदान अविस्मरणीय रहा। सभी ने बिना किसी सरकारी सहायता के, अपनी मेहनत से इस स्टेडियम की नींव रखी थी। तब से लेकर अब तक, यानी 2013 से 2025 तक, इस सदाबहार स्टेडियम ने कई युवा खिलाड़ियों को तैयार किया है जिन्होंने आगे चलकर देश की विभिन्न सुरक्षा सेवाओं में स्थान प्राप्त किया। अब तक लगभग 40 युवक इस मैदान से प्रशिक्षण लेकर भारतीय सेना, यूपी पुलिस, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ सहित अन्य सुरक्षा बलों में भर्ती होकर देश की सेवा कर रहे हैं। ग्रामीण बताते हैं कि आज भी प्रतिदिन सुबह सैकड़ों युवा इस मैदान में दौड़ लगाते हैं। इनमें कुछ छात्र पहली बार भर्ती की तैयारी शुरू कर रहे हैं तो कुछ पहले से चयनित युवाओं को देखकर प्रेरित होते हैं। यह मैदान न केवल खेल के लिए बल्कि अनुशासन, आत्मविश्वास और देशभक्ति की पाठशाला बन चुका है।स्थानीय निवासी अमरनाथ कांडू, गोपाल साहनी एवं जन्मू कश्मीर में तैनात फौजी संतोष साहनी बताते हैं, “हमने 2013 में जब यह मैदान बनाना शुरू किया था, तब केवल सपना था कि हमारे गांव से भी कोई फौज में जाए। आज जब देखते हैं कि हमारे ही साथी और गांव के बच्चे वर्दी पहनकर देश की रक्षा कर रहे हैं तो गर्व महसूस होता है। युवाओं में फौज में भर्ती होने का जोश इतना है कि गांव के लोग अब इसे मजाक में नहीं, बल्कि गर्व से “देशभक्तों का गांव बेलवा काज़ी” कहते हैं। यहां सुबह की गूंज “जय हिंद” और “भारत माता की जय” के नारों से होती है।गांव के बुजुर्गों का कहना है कि अगर प्रशासन की ओर से इस स्टेडियम का थोड़ा और विकास कर दिया जाए जैसे ट्रैक की पक्की लेन, जिम उपकरण और पानी की व्यवस्था तो यह मैदान जिले का प्रमुख खेल प्रशिक्षण केंद्र बन सकता है। बेलवा काज़ी का सदाबहार स्टेडियम आज केवल एक मैदान नहीं, बल्कि सैकड़ों युवाओं के सपनों और मेहनत का प्रतीक बन चुका है। यहां की मिट्टी में पसीना और परिश्रम की खुशबू है, जो आने वाली पीढ़ियों को भी देश सेवा की राह दिखा रही है।

(मनोज पटेल)

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