स्वास्थ्य विभाग की मेहरबनी से शिकारपुर चौराहे पर फल-फूल रही अवैध दवा की दुकाने ।
घुघली । शिकारपुर चौराहे पर स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाने वाली तस्वीर सामने आई है। यहाँ खुलेआम बिना लाइसेंस और प्रशिक्षित फार्मासिस्ट के दवा की दुकानें संचालित हो रही हैं, जिन पर अवैध रूप से जीवनरक्षक दवाओं से लेकर नशे के रूप में इस्तेमाल होने वाली दवाइयाँ तक बेची जा रही हैं।स्थानीय लोगों का आरोप है कि ये दुकानें सालों से सक्रिय हैं और कई बार शिकायतों के बावजूद विभागीय कार्रवाई का नाम तक नहीं लिया गया। दवाओं की बिक्री में गुणवत्ता, सही मात्रा और डॉक्टर की पर्ची का पालन जैसे नियमों की खुली धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं। कई दुकानों पर तो इंजेक्शन और एंटीबायोटिक दवाएं बिना किसी चिकित्सीय परामर्श के मरीजों को थमा दी जाती हैं। गाँव के लोगों में बढ़ रही चिंतागाँव और आसपास के ग्रामीणों का कहना है कि इस तरह की दुकानों से न केवल गलत इलाज का खतरा बढ़ता है, बल्कि दवा के गलत इस्तेमाल से गंभीर दुष्प्रभाव और दवा प्रतिरोध Antibiotic Resistance जैसी समस्याएं भी फैल सकती हैं। कई परिवारों ने दावा किया कि गलत दवा लेने के कारण मरीजों की हालत बिगड़ चुकी है।स्वास्थ्य विभाग की भूमिका संदिग्ध सूत्रों के मुताबिक, कुछ दुकान संचालकों की विभागीय कर्मचारियों से मिलीभगत के कारण ही ये कारोबार बेखौफ जारी है। स्वास्थ्य विभाग की टीम कभी-कभार औपचारिक निरीक्षण कर खानापूरी कर देती है, लेकिन असल में न तो कार्रवाई होती है और न ही दोषियों पर कोई जुर्माना।कानून क्या कहता है?दवा की बिक्री के लिए ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट, 1940 के तहत लाइसेंस और योग्य फार्मासिस्ट की मौजूदगी अनिवार्य है। बिना इन शर्तों के दवा बेचना गैरकानूनी और दंडनीय अपराध है। फिर भी, शिकारपुर चौराहे पर यह कानून सिर्फ कागजों तक सीमित दिखता है। स्थानीय प्रशासन और विभाग पर दबाव इस पूरे मामले ने स्थानीय समाजसेवियों, जनप्रतिनिधियों और पत्रकारों का ध्यान खींचा है। अब क्षेत्रीय नागरिकों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो वे सामूहिक रूप से जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन करेंगे और स्वास्थ्य मंत्री को ज्ञापन सौंपेंगे।अंतिम सवाल क्या स्वास्थ्य विभाग अपनी नींद से जागकर अवैध दवा दुकानों पर ताला लगाएगा, या फिर जनता की जान से खिलवाड़ का यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहेगा ।
