मिठौरा । विज्ञान को मनाव जीवन के कल्याण में लाने के लिए धर्म से जोड़ दिया गया विज्ञान को ही धर्म माना गया धीरे-धीरे धर्म से विज्ञान विलुप्त होने लगा और आडंबर आने लगा। इन आडंबरों के आने से लोग धर्म से दूर होते जा रहे हैं।
सभी धर्मों में पंच माहाभूत तत्वों की बात कही गई है इसी से पूरी सृष्टि का निर्माण हुआ है जिसे हम सनातन धर्म में क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा के रूप में पाते हैं। इसी से पूरा इकोसिस्टम चलता है। हम सूर्य की पूजा करते हैं, हम वायु की पूजा करते हैं, धरती की पूजा करते हैं, पेड़ों की पूजा करते हैं। सनातन धर्म में प्रकृति को हमेशा ही महत्वपूर्ण स्थान दिया। सनातन धर्म ने सदैव पर्यावरण संरक्षण की बात किया है। हमारे पूर्वजो ने धर्म के साथ प्रकृति को जोड़ा और उसे मानव कल्याण का साधन माना।
उक्त बातें गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय में राष्ट्रसंघ ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की पावन स्मृति में आयोजित व्याख्यान सनातन, धर्म संस्कृति एवं हमारा पर्यावरण विषय पर बतौर मुख्य वक्ता निवर्तमान आचार्य, रसायन विज्ञान विभाग, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के प्रो. शिव शरण दास ने कहीं। आगे उन्होंने कहा कि हम भौतिकता के युग में भौतिकवादी होते चले गए अपने धर्म की विशेषताओं को हमने त्यागा। हमने पृथ्वी, वायु, अग्नि, जल, आकाश सभी को प्रदूषित किया। सैटलाइट, मिसाइल आदि से आकाश में इतनी ऊर्जा का संचार किया कि यह हमारे विनाश का कारण बन रहा है। भूकंप, सुनामी आदि सभी कहीं न कहीं यह बताती हैं कि हमने अपने धर्म में भौतिकता को स्थान दिया जो हमारे विनाश का कारण बन रहा है। सनातन धर्म ने सदैव पर्यावरण संरक्षण की बात किया है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे चौक शिक्षण संस्थान के प्रभारी डॉ शैलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि सनातन निरंतर, अनवरत चलने वाला धर्म है। सनातन धर्म का आधार विज्ञान है। संत ही समाज का जीवन है, हमें अपने इतिहास को जानना चाहिए। संत समाज को जानना चाहिए उसके विचारों को आत्मसात करना चाहिए।
कार्यक्रम में आभार ज्ञापन महाविद्यालय के प्राचार्य लेफ्टिनेंट डॉ रामपाल यादव ने किया और संचालन अंकेश कुमार गुप्ता ने किया।
