जंगल में लगी आग से झुलस रहे हैं पेड़-पौधे, जानवर बेहाल, वनकर्मी लापरवाह
लक्ष्मीपुर के टेढ़ी बीट में धूँ-धूँ कर जल रहा जंगल

उत्तर प्रदेश । महराजगंज सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग के लक्ष्मीपुर रेंज में 28 मार्च 2025 को टेढ़ीघाट, जंगल गुलहरिया और तिनकोनिया में लगी आग से जंगल धूँ-धूँ कर जल रहा है। इस भीषण आग से एक ओर कीमती पेड़-पौधे नष्ट हो रहे हैं, तो दूसरी ओर आग की लपटों और धुँए से जंगली जानवर बेहाल हो गए हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि वनकर्मी लापरवाह बने हुए हैं, जिससे जंगली जानवरों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। जंगल मे वनकर्मियों का गश्त बढ़ जाता तो तस्करों द्वारा आग को नही जलाया जाता। जंगल मे आने जाने की वनकर्मियों ने तस्करों को खुली छूट दे दी है तभी यह अंजाम हो रहा है।
जंगल में आग का प्रकोप
लक्ष्मीपुर जंगल पिछले कई दिनों से रुक-रुक कर जल रहा है। वर्तमान में जंगल गुलहरिया, टेढीघाट बीट और सदर बीट के मध्य आग के कारण सैकड़ों सागौन के पेड़ जलकर राख हो चुके हैं। जंगल में लगी आग का प्रभाव इतना भयंकर है कि आसपास के इलाकों में धुएँ की मोटी परत छा गई है। गर्मी के मौसम में यह आग जंगल के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए गंभीर खतरा बनती जा रही है।
वन माफिया की मिलीभगत?
सूत्रों के मुताबिक, जंगल में लगी इस आग के पीछे वन माफिया का हाथ होने की आशंका जताई जा रही है। कहा जा रहा है कि वनकर्मियों की मिलीभगत से जंगल में जानबूझकर आग लगाई जा रही है, ताकि कीमती लकड़ियों को आसानी से काटकर जंगल के बाहर निकाला जा सके। आमतौर पर वन माफिया को जंगली जानवरों का डर रहता है, जिससे वे जंगल में प्रवेश करने से कतराते हैं। इसी कारण वे जगह-जगह आग लगाकर अपने लिए रास्ता सुगम बना रहे हैं।
जंगली जानवरों की बढ़ी मुश्किलें
भीषण गर्मी से परेशान जंगली जानवरों की मुश्किलें आग की लपटों ने और बढ़ा दी हैं। आग से निकल रहे धुएँ के कारण उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही है। स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि कई जानवर जंगल छोड़कर गांवों की ओर भाग रहे हैं। इससे स्थानीय लोगों में भी भय व्याप्त हो गया है कि कहीं ये जानवर बस्ती में घुसकर कोई अनहोनी न कर दें।
वन विभाग की उदासीनता
वन विभाग की लापरवाही का आलम यह है कि जंगल जल रहा है और वनकर्मी मात्र खानापूर्ति के लिए औपचारिक रूप से निरीक्षण कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर वनकर्मी लगातार गश्त करते और सख्ती से निगरानी रखते, तो जंगल में आग लगाने वाले वन तस्कर अपने नापाक इरादों में सफल नहीं हो पाते। वन विभाग की निष्क्रियता से स्थानीय ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ रहा है।
ग्रामीणों का आक्रोश
गाँव के लोगों ने वनकर्मियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यदि वन विभाग सच में अपनी जिम्मेदारी निभाता, तो जंगल को आग की चपेट में आने से रोका जा सकता था। ग्रामीणों के अनुसार, यह पहली बार नहीं है जब जंगल में आग लगी हो, बल्कि हर साल इसी तरह वन माफिया आग लगाकर अपने लाभ के लिए जंगल को नष्ट करते हैं।
वन विभाग का पक्ष
इस बारे में जब लक्ष्मीपुर रेंजर वेदप्रकाश शर्मा से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि जंगल जलने की सूचना मिलते ही वनकर्मियों को मौके पर भेज दिया गया है। वे आग बुझाने का प्रयास कर रहे हैं। इसके अलावा, लोगों को सख्त हिदायत दी गई है कि गर्मी के मौसम में सूखी पत्तियाँ, खरपतवार आदि में आग न लगाएँ। साथ ही, माचिस, बीड़ी-सिगरेट जलाकर जंगल में फेंकने से भी मना किया गया है। वनकर्मियों का प्रयास है कि जंगल और वन्य जीव दोनों को सुरक्षित रखा जाए।
समाधान के उपाय
इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए कुछ आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है:
1. वन विभाग की सक्रियता बढ़े: वनकर्मियों को नियमित गश्त करनी चाहिए और जंगल में अवैध रूप से प्रवेश करने वालों पर कड़ी नजर रखनी चाहिए।
2. वन माफिया पर सख्त कार्रवाई: आग लगाने वालों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।
3. स्थानीय लोगों की भागीदारी: ग्रामीणों को जागरूक किया जाए और जंगल की सुरक्षा के लिए उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जाए।
4. आधुनिक तकनीकों का उपयोग: जंगल में आग बुझाने के लिए आधुनिक उपकरणों और ड्रोन जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाए।
लक्ष्मीपुर जंगल में लगी आग से पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है, वहीं जंगली जानवर भी संकट में हैं। वन विभाग की निष्क्रियता और वन माफिया की साजिशें जंगल की इस दुर्दशा के लिए जिम्मेदार हैं। अगर समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो आने वाले समय में इस क्षेत्र के जंगलों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ सकता है। सरकार और प्रशासन को इस ओर तत्काल ध्यान देना चाहिए ताकि जंगल और वन्य जीवों को बचाया जा सके।