मनरेगा के खजाने में सेंध, फर्जी हाजिरी के सहारे लाखों के भुगतान कराने की तैयारी

महराजगंज । परसामलिक महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मनरेगा की शुरुआत बेरोजगार गरीबों के कल्याण के लिए की गई थी, लेकिन सरकार के विकास की यह योजना ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों की उदासीनता से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। कहीं फर्जी जाब कार्ड बनाकर गरीबों के हक की रकम घर बैठे लोगों के हवाले किया जा रहा है तो कहीं ऑनलाइन एनएमएमएस ऐप पर रोजगार सेवक मेट फर्जी हाजिरी लगा कागजों में विकास की गंगा बहाकर ग्राम प्रधान व रोजगार सेवक की मिली भगत से धन का गबन किए जाने का प्रयास हो रहा है। ऐसा ही एक मामला नौतनवा विकास खण्ड अंतर्गत ग्रामसभा परसामलिक में प्रकाश आया जहां ग्रामसभा में तैनात रोजगार सेवक मेट द्वारा कूट रचित तरीके से कार्यस्थल पर कार्यरत मनरेगा श्रमिको से अधिक एनएमएमएस एप पर मजदूरों की ऑनलाइन हाजिरी लगा मनरेगा के बाबत जारी लाखों का धन को गबन किए जाने के प्रयास का मामला प्रकाश में आया है।
नौतनवा विकास खंड अंतर्गत ग्रामसभा परसामलिक में चिकनी पोखरी का खुदाई कार्य पर बीते 7 फरवरी से 22 फरवरी तक 12 मस्टर रोल निकाला गया है। जिसपर प्रतिदिन 90 से ऊपर श्रमिको की ऑनलाइन हाजिरी भरी जा रही है। मौके पर आधे से भी कम श्रमिक कार्य कर रहे है। 22 फरवरी को स्थलीय पड़ताल में आंशिक मजदूर कार्य करते दिखाई दिए जबकि हाजिरी 92 लोगो की लगाई गई है। उक्त कार्य के बाबत रोजगार सेवक द्वारा कुल 1419 सृजित मानव दिवस अनुमानित मजदूरी 336303 के सापेक्ष पोखरी खुदाई में कार्य नहीं दिख रहा है। पोखरी के अंदर के किनारे चारो तरफ से काफी कम मात्रा में मिट्टी निकाल चारो तरफ तटबंध का उच्चीकरण और सौंदर्यीकरण किया गया है। जबकि बीच में पानी भरा हुआ है। वही कई एमआर में भरी गई ऑनलाइन हाजिरी में एक ही श्रमिक दिखाई दे रहे है। जो मनरेगा नियमो के विरुद्ध है।
*कार्यस्थल पर नहीं लगा है सीआईबी बोर्ड*
ग्राम पंचायत परसामलिक में मनरेगा के राहत हो रहे चिकनी पोखरी का खुदाई कार्य में कार्य स्थल पर सीआईबी बोर्ड नहीं लगा हैं। बीते 7 फरवरी से 22 फरवरी तक कार्य कराया गया है। जबकि नियम है कि किसी भी योजना के कार्यस्थल पर कार्य प्रारंभ होने के पूर्व योजना का नाम, योजना की प्राक्कलित राशि आदि का जिक्र संबंधी बोर्ड लगाना अनिवार्य है। इसके अलावा मनरेगा में कार्य करने वालों की उपस्थिति में भी काफी गड़बड़ी है। सूत्रों की माने तो गांवों में रोजगार सेवको की जुगलबंदी का आलम यह है कि हर कार्य स्थल पर दर्जनों ऐसे मजदूरों की हाजिरी भरी जाती है, जिनके जाब कार्ड तो बनें हैं, लेकिन वह कभी भी कार्यस्थल पर काम करने नहीं आते है। ऐसे लोगों की फर्जी हाजिरी भरकर श्रमांश उनके खाते में भेज दिया जाता है। और मजदूर व रोजगार सेवक समझौता करके पैसा निकाल कर बांट लेते हैं ऐसे में बिना काम के बदले दाम लेने वाले मजदूर को पता तक नहीं चल पाता है कि उसने कहां काम किया और बदले में उन्हें हिस्से की मजदूरी भी मिल गई। अब देखना यह लाजिमी होगा कि उक्त प्रकरण के प्रकाश में आने के बाद ब्लॉक स्तरीय अधिकारी दोषी के विरुद्ध कार्यवाही करते है या जांच में लीपापोती कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा। इस बाबत जब मनरेगा तकनीकी सहायक से टेलीफोनिक वार्ता हुई तो उन्होंने बताया कार्यस्थल पर कार्य के बाबत ही एमबी किया जाएगा।