हिंदी भाषा ही नहीं प्राणवायु है- लेफ्टिनेंट शेषनाथ ।
मिठौरा । पूरा विश्व आज 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मना रहा है। प्रत्येक वर्ष 10 जनवरी को विश्व में हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से इसे मनाया जाता है। हिंदी भाषा ही नहीं भावों की अभिव्यक्ति भी है क्योंकि हिंदी हमारे स्वभाव की तथा हमारे अंतरात्मा की भाषा है। हिंदी के बिना पूर्णता को प्राप्त नहीं किया जा सकता है। उक्त बातें दिग्विजयनाथ इंटरमीडिएट कॉलेज की प्रार्थना सभा में विश्व हिंदी दिवस के संबंध में संबोधित करते हुए विद्यालय के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट शेषनाथ ने कही। उन्होंने बताया कि हिंदी हमारे कण-कण में बसी हुई है। यह हिंदी केवल भारत की भाषा न होकर के विश्व स्तर पर बोली जाने वाली भाषा के रूप में फैल रही है। उन्होंने कहा कि हिंदी दुनिया भर में 30 करोड़ से अधिक लोगों द्वारा बोली जाने वाली एक इंडो आर्यन भाषा है। यह दुनिया की चौथी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है । अंग्रेजी के साथ भारत की दो आधिकारिक भाषाओं में से एक है ।वर्ष 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन किया था। इसके बाद से भारत समेत संयुक्त राज्य अमेरिका यूनाइटेड किंगडम मॉरीशस तथा त्रिनिनाद जैसे देश में विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। विश्व हिंदी दिवस पहली बार 10 जनवरी 2006 को मनाया गया था। इसके बाद प्रत्येक वर्ष 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाने लगा। इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. हरिन्द्र यादव ने छात्र-छात्राओं को विश्व हिंदी दिवस की शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम का संयोजन डॉ राकेश कुमार तिवारी एवं संचालन रामसुखी यादव द्वारा किया गया। इस अवसर पर विद्यालय के वरिष्ठ प्रवक्ता जगदंबिका सिंह लेफ्टिनेंट तुलसी प्रसाद अरविंद कुमार डॉ. पंकज कुमार गुप्त सुनील कुमार कृष्णानंद शुक्ल अखिलेश कुमार आशुतोष कुमार शैलेश कुमार पटेल विनोद कुमार यादव शैलेश कुमार पटेल फूलबदन सहित समस्त कर्मचारी व छात्र-छात्रायें उपस्थित रहे।