विवेकानन्द ने युवा पीढ़ी में अपनी वाणी,कर्म एवं विचारों से भरी नई ऊर्जा ।
महराजगंज । लक्ष्मीपुर
स्वामी विवेकानंद के विचार जो युवाओं को आत्मनिर्भर बनने, कठिन परिश्रम करने और सफल होने के लिए प्रेरित करता है।युवाओं को सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ने और देश के विकास में योगदान देने के लिए प्रेरित करता है। उक्त बाते लक्ष्मीपुर पैसिया ललाइन राजीव गाँधी शिक्षा महाविद्यालय के प्राचार्य डाँ संजय कुमार शुक्ल ने स्वामी विवेकानंद के जयंती पर आयोजित स्वामी विवेकानंद जयंती एवं राष्ट्रीय युवा दिवस संगोष्ठी के दौरान कही।
आयोजित संगोष्ठी में वक्ताओं ने स्वामी विवेकानन्द भारत के एकमात्र ऐसे संत थे,जो अध्यात्म,दर्शन और देशभक्ति जैसे गंभीर गुणों के साथ-साथ युवा शक्ति के भी प्रतीक थे।उनकी छवि भले ही एक धर्मपुरूष और कर्मयोगी की है किन्तु उनका वास्तविक उद्देश्य अपने देश के युवाओं को रचनात्मक कर्म का मार्ग दिखाकर विश्व में भारत के नाम का डंका बजाना था।उन्हें केवल चार दशक का जीवन मिला और इसी अल्प अवधि में उन्होंने न केवल अपने समय की युवा पीढ़ी में अपनी वाणी,कर्म एवं विचारों से नई ऊर्जा का संचार किया बल्कि बाद की पीढ़ियों के लिए भी वे आदर्श बने हुए हैं। वे युवाओं के प्रिय इसलिए थे कि बचपन से लेकर जीवन के अंतिम क्षण तक उनमें प्रश्न और जिज्ञासा का भाव जीवित रहा। स्वामी विवेकानन्द ने धर्म,अध्यात्म, समाज,दर्शन,चिंतन,सभी स्तरों पर वही मार्ग अपनाया जिसे उन्होंने अपनी तर्क बुद्धि और विवेक की कसौटी पर परखने के बाद सही समझा।यही कारण है कि युवाओं के लिए उनका चिंतन आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना उनके जीवनकाल में था।इस दौरान डाँ इन्द्रकला सिंह,संतोष मिश्र,डॉ प्रेम नारायण पाण्डेय,अजय राज,रामबदन प्रसाद,शमीम अहमद बबलू गौतम सहित मौजूद रहे।