जौनपुरउत्तर प्रदेश

विद्यालय के प्रगति पर सहयोगी छात्रों से मांग रहा सहयोग

जौनपुर। गौराबादशाहपुर थाना क्षेत्र के कबीरुद्दीनपुर गांव में दीपावली के एक दिन पहले ताइक्वांडो खिलाड़ी अनुराग यादव का गला काटकर निर्मम हत्या कर दी गयी। इस घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर करके रख दिया। जिसने भी यह मंजर देखा व सुना, उसका कलेजा सिहर उठा। ताइक्वांडो खिलाड़ी अनुराग यादव का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो दो मिनट 24 सेकेंड का है। यह वीडियो उस समय का है जब अनुराग गांव के ही जूनियर विद्यालय में 8वीं की पढ़ाई कर रहा था। इस दौरान विद्यालय में बाल संसद का गठन किया गया। बाल संसद में अनुराग यादव को प्रधानमंत्री बनाया गया था।
विद्यालय की योजनाओं के विषय पर जानकारी देते हुए अनुराग यादव ने कहा कि नमस्कार भाइयों व बहनों, हमारे स्कूल में पहले बहुत सी गंदगियां रहती थीं। हमारा स्कूल बहुत गंदा लगता था। हमारे भाई व बहनों की सहायता से हम लोग विद्यालय को स्वच्छ और अच्छा बना पाए हैं। भाईयों और बहनों, आजकल हमारे स्कूल में बहुत कम संख्या है और हमारे भाई बंधु घर पर हैं। कुछ स्कूल कभी नहीं आते हैं। उनके लिए हम लोग एक योजना बनाए हैं जिसका नाम हम लोगों ने दिया है। स्कूल चलो अभियान इस अभियान को हम सभी को खूब मेहनत से चलना है और घर घर जाकर लोगों को स्कूल जाने के लिए प्रेरित करना है और कहना है कि भाइयों और बहनों, स्कूल चलो, मजबूत बनो और भाइयों एवं बहनों, हमारे स्कूल में कितने खेलों की बहुत व्यवस्था थी, वह नहीं है। कुछ लोग आए और देकर चले गये। जेब्रा फाउंडेशन का मैं दिल की गहराइयों से धन्यवाद देता हूं कि हमारे विद्यालय में कितना अच्छा व्यवस्था किये, मगर उतना अच्छा व्यवस्था नहीं हो पाया, क्योंकि हमारे विद्यालय में उतनी संख्या नहीं थी। बच्चे खेलने के लिए कितने प्रेरित हो रहे थे, मगर खेल नहीं पा रहे थे। भाईयों और बहनों, अब हमारे स्कूल में कितना अच्छा मैदान हो गया है और खूबसूरत लग रहा है। अब हम इसे खेल मैदान के रूप में बना देंगे। भाइयों और बहनों, हम इस खेल के मैदान को प्रधानमंत्री खेल योजना के तहत इसको सुंदर बना देंगे। जिस बच्चे को जिस खेल में रुचि होगी, उसके हिसाब से हम लोग उसको शिक्षा देंगे और खेल के लिए आगे बढ़ाएंगे जिसके बाद बच्चे ताली बजाते हैं और वीडियो खत्म हो जाता है।
वायरल वीडियो देख हर कोई हैरान व परेशान है कि मासूम सा दिखने वाले बच्चे का क्या कसूर था कि उसकी इतनी बेरहमी से उसकी हत्या कर दी गयी। लोगों का कहना है कि अगर अनुराग यादव आज जिंदा होता तो शायद खिलाड़ी के साथ राजनेता जरूर बनता, क्योंकि अपने दो मिनट के भाषण में कई बार भाइयों—बहनों कहते सुना जा सकता है। कहीं न कहीं खेल के साथ राजनीति में रुचि थी। हालंकि मामले में सभी आरोपियों को पुलिस गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है।

आपराधिक घटनाओं से उत्तर प्रदेश अराजकता की भेंट चढ़ चुका है: पंकज पटेल

धर्मापुर क्षेत्र के कबीरुद्दीनपुर गांव में हुई ताइक्वांडो खिलाड़ी अनुराग यादव के निर्मम हत्या के बाद परिजनों को सांत्वना देने वालों का तांता लग गया। हर कोई मृतक परिवार को आश्वासन देता दिखाई दिया। घटना के 11 दिन बाद परिजनों से मुलाकात करने पहुंचे सपा के मुंगराबादशाहपुर विधायक पंकज पटेल ने मृतक परिजनों को सांत्वना देते हुए परिवार को यथोचित न्याय मिलने तक हर संघर्ष का वचन देने के साथ ही प्रदेश सरकार को खेलते हुए अपने सोशल साइड पर लिखा कि साथियों, सूबे में ध्वस्त कानून व्यवस्था, निरंतर घटित आपराधिक घटनाओं से उत्तर प्रदेश अराजकता की भेंट चढ़ चुका है। नित्य प्रति कानून व्यवस्था का जनाजा निकल रहा है। आपराधिक घटनाओं की बाढ़ सरकार की खोखले दावों की पोल खोलती है। यही भाजपा सरकार का असली भयावह विद्रूप चेहरा है। मैं उक्त दुर्भाग्यपूर्ण प्रकरण में सरकार से उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए अपराधों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की मांग करता हूं।

नेताओं को पीड़ित परिजनों से मुलाकात करने से ज्यादा जरूरी है चुनाव

कबीरुद्दीनपुर गांव में हुई ताइक्वांडो खिलाड़ी अनुराग यादव के निर्मम हत्या के बाद परिजनों को सांत्वना देने वालों का तांता लगा हुआ है। ऐसे में प्रमुख नेताओं का परिजनों से न मिलना कहीं न कहीं सवालिया निशान खड़ा करता है। देश में कहीं भी घटना घटित होती है तो वहां लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद, अखिलेश सिंह यादव सहित अन्य नेता पहुंचकर पीड़ित परिवार को सांत्वना देते दिखाई देते हैं परंतु दुर्भाग्य कहे या विडंबना कि देश ने एक होनहार खिलाड़ी को खो दिया और राजनेता पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद दिलाना तो दूर की बात है, परिजनों से मिलना उचित नहीं समझ रहे हैं।कयास लगाए जा रहे हैं कि प्रदेश में उपचुनाव व महाराष्ट्रा विधानसभा चुनाव के बाद शायद पीड़ित परिवार को सांत्वना देने पहुंचे। अगर ऐसा होता है तो यह कहने में कोई गुरेज नहीं होगा कि राजनीतिक पार्टियों को पीड़ित परिवार से मिल सांत्वना देने से ज्यादा जरूरी होता है चुनाव।

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