केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी 18 नवम्बर को उत्खनन का करेंगे शुभारंभ ।
वन विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र मिलने के बाद रामग्राम के उत्खनन का रास्ता साफ ।

महराजगंज। भगवान बुद्ध से जुड़े रामग्राम के उत्खनन को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण अन्वेषण विभाग से मंजूरी मिलने के बाद बन विभाग ने भी अनापत्ति प्रमाणपत्र दे दिया है। जिससे इसके उत्खनन का रास्ता साफ हो गया है। 18 नवम्बर को केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी द्वारा उत्खनन का शुभारंभ किया जाना है।
इसके उत्खनन से भगवान बुद्ध से जुड़े इतिहास के सुनहरे पन्ने खुलेंगे क्योंकि मान्यता है कि भगवान बुद्ध के अस्थि का आठवां हिस्सा यही सुरक्षित है। उत्खनन में रामग्राम की प्रमाणिकता साबित होने के बाद रामग्राम बौद्ध टूरिज्म के अंर्तराष्ट्रीय फलक पर आ जाएगा। महराजगंज का भगवान बुद्ध से गहरा नाता रहा है। उनका ननिहाल देवदह भी इसी जिले में है जहां उनका बचपन बीता था। बौद्ध धर्म के विकास की जड़ें इसी धरती की माटी से निकली हैं, लेकिन अभी तक न तो रामग्राम को मान्यता मिल पाई और ना ही देवदह को। केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के लगातार प्रयास से भारतीय पुरातत्व विभाग ने उत्खनन को मंजूरी दिया।उत्खनन के बाद रामग्राम भगवान बुद्ध के प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में विकसित होगा।रामग्राम कोलिय राज्य की राजधानी थी। पालि विवरणों के अनुसार रोहिणी नदी शाक्य व कोलिय राज्य की विभाजक रेखा थी। देवदह शाक्य निगम होने के कारण इस नदी के पश्चिम तथा कोलिय राज्य की राजधानी रामग्राम इसके पूरब थी। देवदह के राजा महराज अंजन का विवाह राजकुमारी सुलक्षणा से हुआ था। बुद्ध की माता रानी महामाया व मौसी महाप्रजापति गौतमी का जन्म रानी सुलक्षणा के ही गर्भ से हुआ था। उत्तर कालीन पालि विवरणों में माता महामाया को कोलिय जनपद की राजकुमारी कहा गया है। शाक्यों और कोलियों में विवाह सम्बन्ध थे। कोलिय राजकुमारी के गर्भ से उत्पन्न भगवान गौतम बुद्ध का सम्बन्ध रामग्राम के कोलियों से उतना ही प्रगाढ़ था जितना कि देवदह से। शायद यही कारण था कि जब रोहिणी नदी के जल के बंटवारे को लेकर शाक्यों और कोलियों में विवाद पैदा हुआ तो उसका निपटारा करने के लिए स्वयं भगवान गौतम बुद्ध को आना पड़ा। इसका बड़ा प्रमाण यह भी है कि जब भगवान गौतम बुद्ध का निर्वाण हुआ तो उनकी अस्थियां लेने कोलिय भी कुशीनगर पहुंचे और इन पवित्र अस्थियों के आठवें भाग को प्राप्त कर अपनी राजधानी रामग्राम के समीप उन अस्थियों पर एक विशाल धातु चैत्य स्तूप बनवाया। चीनी यात्री युवांगच्वांग द्वारा दी गई दिशा व दूरी की इस क्षेत्र के स्थलाकृतिक मानचित्र पर गणना के अनुसार रामग्राम नगर की स्थिति जनपद महराजगंज के चौक कस्बे के पश्मिोत्तर स्थित कोढ़िया जंगल तथा धातु चैत्य की स्थिति चौक से 3 किलोमीटर पश्चिम धरमौली गांव के पास लगभग 600 मीटर जंगल के बीच कन्हैया बाबा के थान नामक स्थान की ओर इंगित करती है। कन्हैया बाबा के थान पर एक विशाल स्तूप, पुष्करिणी तथा बौद्ध बिहार के खण्डहर कई एकड़ में बिखरे पड़े हैं। कोढ़ियवा जंगल में एक विशाल नगर के अवशेष भी पाये गये हैं। जिला सूचना अधिकारी प्रभाकर मणि त्रिपाठी ने जिला अधिकारी के हवाले से बताया कि 18 नवम्बर को दिन मे 11 बजे केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी रामग्राम स्तूप के उत्खनन का शुभारंभ करेंगे। धरमौली में निर्मित धातु स्तूप रामग्राम को क्षेत्र में कन्हैया बाबा स्थान के नाम से जाना जाता है। इसकी खुदाई कराकर प्रमाणिकता के लिए संसद में लगातार प्रयास करता रहा। परिणाम स्वरूप भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण अन्वेषण और उत्खनन अनुभाग ने खुदाई की मंजूरी दे दी । वन विभाग से अनापत्ति के लिए जिला प्रशासन ने पहल किया था। वन विभाग से मंजूरी के बाद उत्खनन का रास्ता साफ हो गया है।
यह जिले और भगवान बुद्ध के अनुयायियों के लिए बहुत ही हर्ष का विषय है।रामग्राम की प्रमाणिकता साबित होने के बाद यह जगह बौद्ध सर्किट से जुड जायेगा। टूरिस्टो के आने से होटल और टूरिज्म व्यवसाय को बढावा मिलेगा। रोजगार के अवसर बढेंगे।
