महराजगंज । 25 अगस्त से 8 सितम्बर तक मनाए गए 40वें राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा के समापन अवसर पर सोमवार को फरेंदा रोड स्थित सृजन आई हॉस्पिटल के सभागार में नेत्रदान शिविर का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. कान्त शुक्ला ने फीता काटकर एवं दीप प्रज्ज्वलन कर किया।
मुख्य अतिथि डॉ. शुक्ला ने कहा कि “नेत्रदान के प्रति जागरूकता ही समाज में इसके बढ़ते प्रसार का आधार है। सभी को इस दिशा में आगे आना चाहिए।” विशिष्ठ अतिथि अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजेंद्र प्रसाद, ने बताया कि नेत्रदान के लिए उम्र कोई बाधा नहीं है, 5 वर्ष से अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति नेत्रदान कर सकता है। विशिष्ठ अतिथि अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एन एन. प्रसाद ने कहा कि “नेत्रदान जीवन का अमूल्य दान है, जो मृत्यु के पश्चात ही संभव है। एक नेत्रदाता दो असहाय व्यक्तियों की अंधकारमय दुनिया को प्रकाशमय कर सकता है।”
सृजन आई हॉस्पिटल के वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ. बी.एन. वर्मा ने कॉर्नियल अंधत्व की बढ़ती समस्या पर चिंता व्यक्त की और अधिक से अधिक लोगों से मरणोपरांत नेत्रदान हेतु संकल्प-पत्र भरने का आह्वान किया। रोटरी क्लब महराजगंज के अध्यक्ष दिग्विजय सिंह ने कहा कि क्लब सामाजिक कार्यों में लगातार अग्रणी भूमिका निभा रहा है और भारत को अंधत्व मुक्त बनाने में सहयोग कर रहा है। क्लब की चार्टर्ड प्रेसिडेंट विध्ववासिनी सिंह ने इसे गौरव की परंपरा बताया। कार्यक्रम में सिटीजन फोरम के कोषाध्यक्ष दिलीप शुक्ला, रोटरी क्लब के सचिव विनोद गुप्ता, उपाध्यक्ष विजय सिंह संत सहित कई वक्ताओं ने नेत्रदान को महादान बताया और भ्रांतियों से ऊपर उठकर इसे अपनाने का आह्वान किया। शिविर में 40 से अधिक लोगों ने नेत्रदान का संकल्प लिया, जिनमें कई परिवारों ने सामूहिक रूप से संकल्प-पत्र भरा। विशेष रूप से डॉ. बी.एन. वर्मा, पशुपति नाथ तिवारी, जगन्नाथ सिंह, प्रो.अंजू वर्मा, दिग्विजय सिंह, विजय सिंह संत, दिलीप शुक्ला एवं उनकी धर्मपत्नी, देवेश पांडे एवं उनकी धर्मपत्नी, पूर्व प्रधानाचार्य जगन्नाथ सिंह,जिला अस्पताल के मुख्य फार्मासिस्ट संतोष कुमार श्रीवास्तव व उनकी धर्मपत्नी शामिल रहे। सभी संकल्पदाताओं को अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।
कार्यक्रम का सफल संचालन रोटरी क्लब के पूर्व सचिव देवेश पांडे ने किया। आयोजन में विनय जायसवाल, दीपक, वीरेंद्र, उजाला, ऑफरीन, अमृता, सफिया, आसमा, जैनब, समीमा, गोविन्द आदि का विशेष योगदान रहा।
