संत परंपरा में नाथ पंथ का विशेष योगदान- डॉ. बृजेश पांडेय ।

मिठौरा ।भारतीय संस्कृति में आदिकाल से ही संत परंपरा चली आ रही है क्योंकि भारत देश संतों का देश है ।और संतों के मार्गदर्शन में ही हमारी पीढ़ियां पुष्पित और पल्लवित हो रही हैं। निश्चित रूप से संतों का देश के लिए किया गया योगदान प्राचीन से अर्वाचीन तक गतिमान रहा है। देश का विकास संत समागम से ही संभव है। हमारे देश में विविध प्रकार के पंथो द्वारा अपने विचारधारा से सदैव देश को सशक्त और समृद्ध करने का कार्य किया गया है। इस संत परंपरा की विकास धारा में एक सबसे सशक्त कड़ी है नाथ पंथ की क्योंकि नाथ पंथ सदैव देश को प्रतिनिधित्व करने का कार्य किया है वह संपूर्ण देश में विस्तृत है तथा अपने विचारधाराओं से शैक्षिक सामाजिक चिकित्सकी एवं अन्य सामाजिक सरोकारों को विकसित करने का कार्य किया है। इस परंपरा की कड़ी में गुरु मत्स्येंद्र नाथ महायोगी गोरखनाथ के साथ परंपराओं का विकास क्रम चलता रहा और बाबा गंभीर नाथ बाबा आदिनाथ ब्रह्मलीन दिग्विजयनाथ एवं राष्ट्र संत अवेद्यनाथ तथा आज भी यह परंपरा मूर्त रूप में गतिमान है। आज नाथ पंथ द्वारा ही उत्तर प्रदेश अपने उत्तमता की ओर अग्रसर है। उक्त बातें दिग्विजयनाथ इंटरमीडिएट कॉलेज चौक बाजार द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय व्याख्यानमाला के दूसरे दिन राजेंद्र प्रसाद ताराचंद पीजी कॉलेज के सहायक आचार्य डॉ. बृजेश पांडेय ने कही। उन्होंने कहा कि नाथ पंथ सदैव अपने विचारधाराओं तथा कार्यशैली से समाज को मार्गदर्शन एवं दिशा देने का कार्य किया है और कर रहा है ।कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि की भूमिका में महाविद्यालय के डॉ. सरोज रंजन ने कहा कि नाथ पंथ की कार्यशैली एवं उसकी कार्य योजनाएं समाज के साथ-साथ राष्ट्र को भी दशा और दिशा देने वाली है। संत परंपरा में नाथ पंथ एक बड़ी विचारधारा है । जो सबके लिए उपादेय है। कार्यक्रम में आभार प्रकट करते हुए जगदंबिका सिंह ने कहा कि नाथ पंथ एवं संत परंपरा एक दूसरे के पर्याय हैं नाथ पंथ द्वारा शिक्षा स्वास्थ्य और खेल के साथ ही अन्य गतिविधियों का आयोजन किया जाता है नाथ पंथ के द्वारा धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में नित नूतन विकास हो रहा है। कार्यक्रम का प्रारंभ मां सरस्वती एवं महाराज द्वय के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलन एवं पुष्पांजलि से हुआ। छात्र-छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना एवं स्वागत गीत की प्रस्तुति हुई। संचालन लेफ्टिनेंट शेषनाथ एवं संयोजन शैलेश कुमार पटेल द्वारा किया गया। इस अवसर पर डॉ. पंकज कुमार गुप्त डा. राकेश कुमार तिवारी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।