कुशीनगरउत्तर प्रदेश

अमन व शांति से खुशहाली के साथ मनाए ईद-उल-अज़हा का त्यौहार

कुर्बानी एक इबादत है,खुले में ना करें : एमाम रहमतुल्लाह कादरी

नसरुल्लाह अंसारी की रिपोर्ट

कुशीनगर : जिले में पडरौना क्षेत्र के अंतर्गत गांव जंगल बनबीरपुर,शेखटोंलिया जमा मस्जिद के खतिब-व-एमाम हाफिज व कारी रहमतुल्ला कादरी ने आगामी त्यौहार ईद-उल-जुहा,बकरा ईद के मद्देनजर सोमवार को मीडिया से रूबरू बयान में कहा कि कुर्बानी इस्लाम की निशानी और सुन्नत-ए-इब्राहिमी होने के साथ-साथ सुन्नते मोहम्मदी भी है,कुर्बानी एक इबादत है। इसलिए यह कुर्बानी अल्लाह ताला के यहां बहुत महत्व रखती है। कुर्बानी के दिनों में प्रसन्नता पूर्वक कुर्बानी करने और कुर्बानी के लिए रुपए खर्च करने से ज्यादा कोई भी चीज अल्लाह ताला के यहां प्रिय और पसंद नहीं,जबकी कुर्बानी कयामत के दिन जहन्नम में जाने से बचाएगी। उन्होंने कहा कि कुर्बानी का जानवर कयामत के दिन अपने बाल,सिंह और खुरो के साथ आकर पुलसिरात को पार कराने में मदद करेगा इतना ही नहीं कुर्बानी के जानवर के हर बाल के बदले में नेकी लिखी जाती है। इसलिए हर उस शख्स स्त्री व पुरुष पर जो मुसलमान मुकीम,स्थाई निवासी बालिग आजाद होने के साथ-साथ मालिक-ए-निशाब भी हो अर्थात जिसके पास 612 ग्राम चांदी व 87.48 ग्राम सोना या जो जरूरत के अलावा किसी ऐसी चीज का मालिक हो,जिस की कीमत 612 ग्राम चांदी की कीमत (कमोबेश 32000 रुपए) की बराबर हो जाए उस पर कुर्बानी वाजिब है। लगातार बातचीत के क्रम में उन्होंने बताया कि अगर ऐसा शख्स कुर्बानी नहीं कराता है तो हदीस में ऐसे शख्स के लिए कहा गया है कि वह ईदगाह के करीब ना आए अर्थात ईद की खुशियां न मनाएं। उन्होंने सभी मोमिनो से अपील करते हुए कहा कि हर उस शख्स को इस इबादत को अदा करना चाहिए,जिसमें यह शर्तें पाई जाती हों ताकि वह अल्लाह व रसूल की नाराजगी से बचते हुए उनकी रजामंदी हासिल करें।गौरतलब हो कि एमाम रहमतुल्लाह कादरी ने देश के हालात को देखते हुए मुसलमानों से बार-बार अपील किया कि सरकार ने कुर्बानी और ईद-उल-अजहा से संबंधित हर जगह दफ्तरों व थानों से पीस कमेटी के जरीए जो फरमान गाइडलाइन जारी की है उसका पालन करें। और साथ ही कोई भी ऐसा काम ना करें जिससे देशवासियों को किसी भी प्रकार की पीड़ा और ठेस पहुंचे। सभी लोग मिलजुलकर हर्षोल्लास के साथ अमन व शांति से त्यौहार को मनाएं। अंत में उन्होंने कहा कि सड़क व आम रास्तों और खुलेआम मैदानों में कुर्बानी न करें बल्कि चारदीवारी के अंदर परंपरागत तरीके से सामूहिक कुर्बानी करें। जबकि जानवर कुर्बानी करने के तुरंत बाद उसके मलबे को बस्ती से दूर किसी उचित स्थान पर गड्ढा खोदकर दफन कर दें,और कुर्बानी वाली जगह को तुरंत साफ-सफाई कराएं इस बात का मुख्य ख्याल रखें की कुर्बानी से संबंधित कोई भी फोटो और वीडियो बिल्कुल ना बनाएं और सोशल मीडिया पर अपलोड करने से बचें,अंतिम पैग़ाम उन्होंने कहा कि तमाम मुसलमानों को इन बातों पर जरूर अमल करना चाहिए।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
.site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}