सीमावर्ती क्षेत्रों में हो रही सब्सिडी युक्त उर्वरक की तस्करी, जिम्मेदार मौन।
नए थानेदार की तैनाती के बावजूद नही लग रहा तस्करी पर प्रभावी अंकुश।

आशुतोष की रिपोर्ट
परसामलिक।स्थानीय थाना क्षेत्र अंतर्गत इंडो नेपाल सीमा से सटे इलाकों में पगडंडी रास्तों हो रही खाद्यान्न के बाद उर्वरक की तस्करी को लेकर एक बार फिर चर्चाओं का दौर जारी है,अगर ऐसे ही उर्वरक की तस्करी होती रही तो भारतीय क्षेत्र के किसानों को खरीफ की फसल के सीजन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।परसामलिक थाना क्षेत्र अंतर्गत इंडो नेपाल सीमा से सटे सेवतरी, रेहरा व अहिरौली नाके के अवैध पगडंडी चोर रास्तों से खरीफ की फसल का सीजन आते ही एक बार फिर खाद्यान्न के बाद डीएपी व यूरिया की तस्करी में तेजी आई है। तस्करो का सिंडीकेट भारतीय क्षेत्र में स्थित उर्वरक की दुकानों से ऊंचे दामों में डीएपी व यूरिया की खरीददारी कर बाइक व साइकिल के सहारे पगडंडी रास्तों से सीमा पार भेज ऊंचा मुनाफा कमा रहे है। जिससे भारत सरकार को आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ रहा है। परसामलिक थाने पर नए थानेदार की तैनाती के बाद ग्रामीणों में आशा जगी की तस्करी पर प्रभावी रोकथाम देखने को मिलेगा लेकिन बेखौफ तस्करी जारी है। सीमा पर तैनात सुरक्षा एजेंसियां अवैध तस्करी पर प्रभावी रोकथाम करने में विफल साबित हो रही है।बता दे कि बरसात न होने के कारण भारतीय इलाके में इन दिनों उर्वरकों की अधिक आवश्यकता नहीं है। भारतीय इलाके के दुकानदारों से प्रतिदिन सैकड़ों बोरी डीएपी व यूरिया खरीद कर तस्कर सीमावर्ती गांव में डंप कर मौका मिलते ही नेपाल भेज देते है। बरसात होते ही भारतीय इलाके में उर्वरकों की कमी हो जाती है। जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ सकता है। नेपाली इलाके में कच्ची शराब बनाने में भी यूरिया का भारी पैमाने पर इस्तेमाल होता है।
इस बाबत जिला कृषि अधिकारी वीरेंद्र प्रसाद ने बताया की अभियान चला सीमा से सटे क्षेत्रों में उर्वरक की दुकानों की चेकिंग की जाएगी, संलिप्तता मिलने पर सीज किया जाएगा साथ ही सुरक्षा एजेंसियो के साथ समन्वय बना कर खाद तस्करी रोकी जाएगी।