महराजगंजउत्तर प्रदेश

महाविद्यालय में आयोजित हुआ महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज के स्मृति में उद्घाटन समारोह ।

महराजगंज गोरक्षपीठाधीश्वर महन्त अवेद्यनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय, चौक बाजार, महाराजगंज।राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज के स्मृति में सप्त दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला में को उद्घाटन समारोह महाविद्यालय के श्री श्री योगीराज बाबा गंभीरनाथ सभागार में आयोजित हुआ।महन्त अवेद्यनाथ जी का जन्म उत्तराखंड के पौढ़ी गढ़वाल में हुआ। बचपन में ही उनके माता-पिता ने उनके साथ छोड़कर उन्हें अनाथ बना दिया आगे का लालन-पालन दादी के द्वारा किया जा रहा था । किंतु उन्होंने भी उनके साथ छोड़ दिया। धीरे-धीरे बचपन से ही महंत जी को सांसारिक मोह माया से मन भंग हो गया फिर श्री बाबा शांतिनाथ जी के संपर्क में आ जाते हैं। उसके बाद महन्त दिग्विजयनाथ जी के संपर्क में आते ही श्री गोरखनाथ मंदिर के नाथ संप्रदाय को अपना कर एक नया स्वरूप समाज के सामने पेश करते हैं। इन्हें हिंदू धर्म, ध्वजवाहक, सामाजिक समरसता, सनातन की रक्षा राष्ट्रवादी अग्रदूत के रूप में जाना जाता है। उक्त बातें मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित डॉ. हरिन्द्र यादव प्रधानाचार्य, दिग्विजयनाथ इंटरमीडिएट कॉलेज, चौक बाजार ने कही। आगे उन्होंने कहा कि आज के समय में धर्म और राष्ट्र के प्रति प्रेम एवं सामाजिक समरसता को हम सभी को अपने मन में लाना चाहिए यही महाराज जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित सपना सिंह प्रधानाचार्या, दिग्विजयनाथ बालिका इण्टर कॉलेज, चौक बाजार ने कहा कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद एक वट वृक्ष है । जिससे हमें लगातार ऊर्जा मिलती रहती है। ब्रह्मलीन द्वय महाराज जी का सपना था अनंत भारत, सशक्त भारत जिसके लिए इन शिक्षण संस्थाओं की स्थापना हुई। जो शिक्षा के साथ संस्कार भी छात्र-छात्राओं को सिखाया जाता है जिससे वह संस्कारवान आदर्श नागरिक बन सकें।

कार्यक्रम का अध्यक्षीय उद्बोधन में निवर्तमान प्राचार्य, दिग्विजयनाथ पीजी कॉलेज, गोरखपुर एवं गोरक्षपीठाधीश्वर महन्त अवेद्यनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय, चौक बाजार के प्रभारी डॉ. शैलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि जो अपने समय को पहचान कर अपने समय का सदुपयोग करता है वह ऊंचाइयों पर पहुंच जाता है। जिसने अपने समय का दुरुपयोग किया वह आज अपने उस हालत में है। हम क्या सीख रहे हैं, हम क्या सीखा रहे हैं। हम कैसे सीख रहे हैं, हम कैसे सीखा रहे हैं। हम क्यों सीख रहे हैं, हम क्या सीखा रहे हैं। उसे आत्मसात कर सकते हैं। इन कारणों को समझ कर संस्कारित होने का अवसर प्रत्येक छात्र-छात्राओं को मिलता है। किंतु सामाजिक आपाधापी में वह इसको छोड़कर बाकी सब ग्रहण करते हैं। हम छात्र के रूप में कक्षा में तो रहते हैं लेकिन मन से नहीं रहते हैं इसको ध्यान में रखना होगा। तभी हमारा जीवन उज्जवल एवं सफल होगा।
कार्यक्रम का संचालन असिस्टेंट प्रोफेसर संस्कृत विषय की डॉ मनीषा त्रिपाठी एवं आभार ज्ञापन महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ बसन्त नारायण सिंह ने किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ द्वय महाराज जी एवं मां सरस्वती के चित्र सम्मुख दीप प्रज्वलन, पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ बसन्त नारायण सिंह ने अतिथियों को उत्तरीय भेंट कर सम्मानित किया।उद्घाटन कार्यक्रम में सरस्वती वंदना, शिक्षा परिषद का कुल गीत, स्वागत गीत महाविद्यालय की छात्राओं साजिदा, सहाना, बबली, अनामिका, अमृता एवं श्वेता
के द्वारा किया गया।
इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त शिक्षकगण, कर्मचारीगण एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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