भगवान और भक्त का रिस्ता अटूट होता,पं श्याम जी
भागवत कथा के अंतिम दिन उमड़ी भीड भगवान ने भक्तो संग खेली होली ।
महराजगंज । लक्ष्मीपुर क्षेत्र के ग्राम पंचायत अमवा मे सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के अन्तिम दिन कथावाचक श्यामजी उपाध्याय महराज ने कथा के दौरान भगवान व भक्त मे अटूट रिस्ता होता है।
भक्त अपनी भक्ति के बदौलत भगवान की कृपा पाता है। हर वस्तु की प्राप्ति के साथ वियोग भी है। हर एक समय मनुष्य की भक्ति करना जीवन का मूल उदेश्य होना चाहिए। सांसारिक कार्य करने के बाद पश्चाताप हो सकता है,परंतु ईश्वरीय भक्ति साधना, ध्यान व परोपकार के पश्चात पश्चाताप नहीं आनंद व आत्म संतोष की अनुभूति प्राप्त होती है।उक्त बातें भागवत कथा के अंतिम दिन कथावाचक व्यास श्यामजी उपाध्याय ने कहीं। भागवत कथा के अंतिम दिन रविवार को महाआरती के बाद भोग वितरण भगवन कृष्न व रूकमिणी संग भक्तो ने फूलो की होली खेला जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। व्यास ने कहा कि अमृत से मीठा अगर कुछ है तो वह भगवान का नाम है। परमात्मा सत्यता के मार्ग पर प्राप्त होते हैं। मन, बुद्धि, इंद्रियों की वासना को समाप्त करना है तो हृदय में परमात्मा की भक्ति का दीप जलाना पड़ेगा। ईश्वर का प्रतिरूप ही परोपकार है।कथावाचक ने कथा के अंतिम दिन सूकदेव द्वारा राजा परीक्षित को सुनाई गई श्रीमद्भागवत कथा को पूर्णता प्रदान करते हुए कथा में विभिन्न प्रसंगों का वर्णन किया। इस दौरान भारी तादाद में पुरूष, महिलाए व बच्चे शामिल रहे। कथा मे आये प्रसंगों मे जयकारों पूरा पंडाल गुंजयमान रहा।