महिला ग्राम प्रधानों के अधिकारों का हो रहा हनन ।
परसामलिक ।देश का संविधान लागू होने के 75 साल बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का आभाव होने के नाते महिला उत्थान के लिए किए जा रहे कार्य अमिट छाप नहीं छोड़ पा रहे हैं। नौतनवा ब्लॉक अंतर्गत कई ग्राम पंचायतों में महिला प्रधानों के स्थान पर प्रधान प्रतिनिधि या उनके पतियों ने ध्वजारोहण किया तो कई गांवों में घूंघट की ओट से महिला प्रधान ध्वजारोहण कर वापस घर आकर चूल्हा चौका में लग गईं। ग्राम विकास अधिकारी भी महिला प्रधान के पतियों को प्रधान जी कहकर हौसला बढ़ाते नजर आए। राजनीति में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित के लिए पंचायती राज में महिलाओं के आरक्षण की व्यवस्था की गई जिससे महिलाएं राजनीति के क्षेत्र में आकर अपने अधिकारों के प्रति सजग व जागरूक हो सकें। मगर आज भी प्रधान बनने के बाद भी कई महिलाएं चूल्हा चौका तक सीमित हैं।इस मौके पर ग्राम विकास अधिकारी से लेकर अन्य कर्मचारी प्रधान प्रतिनिधि को प्रधान जी कहकर संबोधित कर उनका हौसला बढ़ाते हुए नजर आए। ग्रामीण क्षेत्रों में महिला ग्राम प्रधान के स्थान पर उनके पति और परिजन सक्रिय नजर आते हैं और बैठकों से लेकर अन्य विभागीय कार्यों में नजर आते हैं, जबकि महिला ग्राम प्रधान घरों में चूल्हा चौके तक ही सीमित है। ब्लाक प्रमुख, चेयरमैन के पदों तक यही दशा बनी हुई है।