उपचाराधीन कुष्ठ रोगी से संक्रमण का खतरा नहीं-सीएमओ ।

महराजगंज । कुष्ठ का उपचार ले चुके या उपचाराधीन कुष्ठ रोगियों से संक्रमण का कोई खतरा नहीं है। समाज को खतरा उन रोगियों से है जो लक्षण के बावजूद भय, भ्रांति, कलंक और भेदभाव के कारण कुष्ठ की जांच नहीं करा पाते हैं । इस संदेश के साथ साथ जिले में गुरुवार को संकल्प लिया गया । साथ ही साथ 14 दिनों तक चलने वाला स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान भी शुरू हो गया । जागरूकता के लिए सीएमओ ने हरी झंडी दिखाकर जागरूकता वाहन रवाना किया।
सदर सीएचसी परिसर में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ श्रीकांत शुक्ला ने उपस्थित जनों को कुष्ठ निवारण की शपथ दिलाई। साथ ही जिलाधिकारी का संदेश भी सभी लोगों को पढ़ कर सुनाया गया । सीएमओ ने कहा कि कुष्ठ जागरूकता अभियान की शुरूआत की गयी है । इसके तहत 30 जनवरी से 13 फरवरी तक 14 दिनों स्कूल, कॉलेज, ग्राम सभा, स्वास्थ्य और पोषण से जुड़े सत्र स्थलों और विभिन्न सामुदायिक प्लेटफार्म के जरिये लोगों को बीमारी के लक्षणों और उपचार के बारे में जानकारी दी जाएगी । जन समुदाय को बताया जाएगा कि कुष्ठ के लक्षण दिखने पर आशा, एएनएम या बहुद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता की मदद से स्वास्थ्य केंद्र पर जांच कराएं और सम्पूर्ण इलाज पाएं । कार्यक्रम में कुष्ठ रोगियों के बीच कंबल भी वितरित किया गया। जिला कुष्ठ अधिकारी डॉ एन एन प्रसाद ने बताया कि पासी बेसिलाई पीबी कुष्ठ रोग का इलाज छह माह में और मल्टी बेसिलाई एमबी कुष्ठ रोग का इलाज साल भर में पूरा हो जाता है । डिप्टी सीएमओ डॉ केपी सिंह ने बताया कि समय से जांच और इलाज न करवाने पर यह बीमारी दिव्यांगता और विकृति का रूप ले सकती है । कुष्ठ अधिक संक्रामक बीमारी नहीं है और यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक आसानी से नहीं पहुंचता है। एक बार उपचार शुरू होने के बाद संक्रमण की आशंका शून्य हो जाती है । इसका उपचार सभी ब्लॉक स्तरीय अस्पतालों पर उपलब्ध है । कार्यक्रम में सदर सीएचसी के अधीक्षक डॉ उमेश चंद्रा, डीपीएम नीरज सिंह,स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी श्रीभागवत सिंह, एके बर्नवाल, राम सुग्रीव वर्मा, धर्मेन्द्र गुप्ता प्रमुख तौर पर मौजूद रहे।
सुन्न दाग धब्बा हो तो जांच कराएं
डिप्टी सीएमओ डॉ के पी सिंह ने बताया कि अगर शरीर पर चमड़ी के रंग से हल्का कोई भी सुन्न दाग धब्बा हो तो कुष्ठ की जांच अवश्य करानी चाहिए । हल्के रंग के व्यक्ति की त्वचा में गहरे और लाल रंग के भी धब्बे हो सकते हैं। हाथ या पैरों की अस्थिरता या झुनझुनी, हाथ पैर व पलकों में कमजोरी, नसों में दर्द, चेहरे या कान में सूजन अथवा घाव और हाथ या पैरों में दर्द रहित घाव भी इसके लक्षण हैं । तुरंत जांच और इलाज से मरीज ठीक हो जाता है और सामान्य जीवन जी सकता है।