साहब! स्कूल गाड़ी है या सवारी गाड़ी

परतावल ।शासन प्रशासन कितना भी सख्त नियम कानून लगा दें लेकिन स्कूल प्रशासन अपने मनमानी से बाज नहीं आएंगे।ये नज़ारा परतावल क्षेत्र के एक निजी स्कूल का है जिसमें सीट से ज्यादा बच्चें भरे पड़े हैं।किस प्रकार से बच्चों के जिंदगी से खेला जा रहा है । ये आप खुद देख सकते हैं।उमस भरी गर्मी में बस में 91 बच्चों को ठूस ठूस कर भरा गया है । और कुछ बच्चों को मजबूरी में खड़ा भी होना पड़ा है।स्कूल के द्वारा भाड़े के रूप में हर महीने मोटी रकम भी लिया जाता है । फिर भी बच्चों को खड़ा होकर जाना पड़ता है।कुछ ऐसे स्कूल भी हैं जिनके वहाँ गाड़ियां एक दम खटारा हो गए हैं । फिर भी रोड पर खर्राटे भरते नज़र आते हैं।एक बच्चे के अभिवाहक ने बताया कि शिकायत किया गया है । अगर ये लोग सुधार नही लाए तो हम लोग खुद गाड़ी रिज़र्व कर के भेजेंगे।
सवाल ये है कि क्या सरकारी तंत्र का ध्यान यहाँ तक नही जाता अगर जाता भी है । तो इनके खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं होती।