कुशीनगरउत्तर प्रदेश

प्रेम ही परमात्माप्राप्ति का सहजमार्ग है – आचार्य विनोद

कुशीनगर।फाजिलनगर के विशुनपुरा जौराबाजार में अयोध्या श्रीधाम से पधारे आचार्य विनोद जी महाराज ने श्रीमद् भागवत कथा का रसपान कराते हुए कहा कि एकाग्रता सिद्ध करने का सबसे अच्छा उपाय यह है कि अपने मन को संसार की ऐसी बातों से दूर रखा जाए। जिनसे बेकार की उलझनें और समस्याएँ पैदा हों। उसे केवल ऐसी बातों और विचारों तक ही सीमित रखा जाए, जिनसे अपने निश्चित लक्ष्य का सीधा संबंध हो। उन्होंनें आगे कहा कि प्रायः लोगों का स्वभाव होता है कि वे घर, परिवार, मुहल्ले, समाज, देश, राष्ट्र आदि की उन बातों में अपने को व्यस्त बनाए रखते हैं। जिनसे उनके मुख्य प्रयोजन का कोई सरोकार नहीं होता। इस स्वभाव का जन्म निरर्थक उत्सुकता द्वारा ही होता है। प्रेम की उपलब्धि परमात्मा की उपलब्धि मानी गई है। प्रेम परमात्मा का भावनात्मक स्वरूप है। जिसे अपने अंतर में सहज ही अनुभव किया जा सकता है.। प्रेम प्राप्ति परमात्मा प्राप्ति का सबसे सरल मार्ग है। परमात्मा को पाने के अन्य सभी साधन कठिन, दुःसाध्य तथा दुरूह हैं ! एक मात्र प्रेम ही ऐसा साधन है, जिसमें कठोरता अथवा दुःसाध्यता के स्थान पर सरसता, सरलता और सुख का समावेश होता है, अपने-आपको सुधारने का प्रयत्न करना, अपने दृष्टिकोण में गहराई तक समाई हुई भ्रान्तियों का निराकरण करना मानव जीवन का सबसे बड़ा पुरुषार्थ है। हमें यह न केवल करना ही चाहिए, वरन् सबसे पहले अधिक इसी पर ध्यान देना चाहिए। इस दौरान मुख्य यजमान श्रीमती गीता देवी, राघवेंद्र उपाध्याय, नागेंद्र उपाध्याय, आचार्य पंडित चंद्रशेखर पांडेय, दिलीप पांडेय, बृजराज यादव, नथुनी उपाध्याय, रामबिलास उपाध्याय, देवेंद्र उपाध्याय, गजानंद उपाध्याय, डा0 कन्हैया तिवारी, कुलदीप उपाध्याय, नीलेश उपाध्याय, उपेंद्र उपाध्याय,जितेंद्र उपाध्याय, राकेश उपाध्याय, अजित अमित आदि उपस्थित रहे।

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