कुशीनगरउत्तर प्रदेश

शरद कालीन गन्ने के साथ आलू की खेती करे: ओमप्रकाश गुप्ता

नसरुल्लाह अंसारी की रिपोर्ट 

कुशीनगर। किसान इस समय धान काटकर शरदकालीन करने की बुवाई कर रहे हैं। गन्ने की दो लाइन के बीच खाली स्थान में आलू की एक या दो पंक्ति बोकर ,90 से 100 दिन में, 80 से 90 कुंटल आलू की उपज प्राप्त होगा, जो लगभग 80 से 90 हजार का होगा। यह जानकारी उत्तर प्रदेश गन्ना किसान संस्थान प्रशिक्षण केंद्र-पिपराइच गोरखपुर के सहायक निदेशक ओम प्रकाश गुप्ता ने रविवार को हाटा बिकास खण्ड गांव बकनहा में जनटू कुशवाहा के खेत का निरीक्षण करने के बाद किसानों को दी।
सहायक निदेशक ने बताया की – फोटो दिखाकर किसान को बताया जा रहा है। आलू की उन्नत प्रजातियां – कुफरी चंद्रमुखी, कुफरी बादशाह, कुफरी लालिमा , कुफरी आनन्द, कुफरी बहार आदि।
गन्ने की अधिक उपज देने वाली प्रमुख प्रजातियां –
को.शा. 13235 , 9232, को.118, को.लख. 14201, को.से. 13452 गन्ना विकास विभाग द्वारा शरद कालीन गन्ना बुवाई के लिए दिया जा रहा है बीज गन्ना, आलू का बीज उद्यान विभाग से ले या बाजार में उपलब्ध स्वस्थ व रोगरहित कन्द – बीज का चयन करें। एक आलू का वजन औसतन 25 से 30 ग्राम होना चाहिए। आलू के विकास के लिए 22 से 24 से० तापमान चाहिए। आलू बनने के लिए 18 से 20 सेंटीग्रेड तापमान चाहिए।
गन्ना आलू बोने के लिए कल्टीवेटर हैरो तथा रोटावेटर से अच्छी तरह जुताई कर मिट्टी भुरभुरी कर करें अंतिम जुताई के समय 70 से 80 कुंतल गोबर की सड़ी खाद या 30 से 40 कुंतल सडा प्रेसमड प्रयोग करें गन्ने की दो ऑंख या एक ऑंख का टुकड़ा- गेड़ी काटकर उसे कार्वेन्डाजिम या हेक्जास्टॉप के घोल में उपचारित करें। ट्राईकोडर्मा भूमि उपचार के लिए अवश्य प्रयोग करें। एक एकड़ गन्ने के लिए नाली में 75 किलोग्राम डी.ए.पी. तथा 40 किलोग्राम पोटाश, को 50 किग्रा. सरसों की खली में मिलाकर प्रयोग करें। उपचारित टुकड़ा बोकर हल्की मिट्टी गिराये, ज्यादा मिट्टी गिरने पर गन्ने का जमाव प्रभावित होगा।
यदि गन्ना 90 सेमी. पर बोते हैं तो आलू की एक पंक्ति बोये, ट्रेंच विधि से बोने पर आलू की दो पंक्ति बोये, आलू के लिए अलग से उर्वरक बोते समय 75 किलोग्राम एन. पी. एस. (20-20-0-13) तथा 30 किग्रा. पोटाश प्रयोग कर मिट्टी में मिलाकर, आलू का कंद बोकर मिट्टी चढ़ा दे। आलू बोने के 25 से 30 दिनो पर 45 किग्रा. यूरिया, नमी की दशा में प्रयोम कर मिट्टी चढा दे। आलू की फसल को झुलसा रोग से बचाने के लिए फंफूदी नाशक डाईथेन एम-45 का छिड़काव करें।

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