गोरखा समाज के लोगों ने बड़े हर्षोउल्लास के साथ मनाया भईया दूज।
नौतनवा ।भैया दूज का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया गया।दीपावली के दो दिन बाद अर्थात यम द्वितीया पर सनातन धर्म में भाई दूज का खास महत्व है। वैसे तो धनतेरस से चला त्योहारों का सिलसिला जारी है | गोवर्धन पूजा के बाद भैया दूज मनाया गया।भैया दूज जिसे यम द्वितीया भी कहा जाता है इस दिन बहनें अपने भाई के मस्तक पर तिलक लगाती हैं। और उनके मंगल की कामना करती हैं। मान्यता यह है कि इस दिन ऐसा करने से अकाल मृत्यु का खतरा टल जाता है। भैया दूज के पर्व पर आज तमाम भाई अपनी बहन के घर पहुंचे और परंपरा के मुताबिक माथे पर तिलक लगाकर बहनों ने भाइयों का स्वागत किया।नौतनवा के पहाड़ी मोहल्ले में 35 वर्ष बाद नेपाल के गोरखा समाज के एक भाई अपने बहन के घर नौतनवा कस्बे के गौतम बुद्धनगर वार्ड में पहुंचे।भाई को पाकर बहन के खुशियों का ठिकाना नहीं था। दीपावली के दो दिन बाद अर्थात यम द्वितीया पर सनातन धर्म में भाई दूज का खास महत्व है।यमराज और द्वितीय तिथि का खास संबंध भी है।मान्यताओं के अनुसार कार्तिक शुक्ल की द्वितीया को जो भाई अपने बहन के घर का अन्न ग्रहण करता है। मस्तक पर तिलक लगवाता है। उसके अकाल मृत्यु का खतरा टल जाता है। पुराण में कहा गया है कि यमुना अपने प्रिय भाई यमराज को बार-बार अपने घर आने के लिए आमंत्रित करती थीं। लेकिन वह नहीं जा पाते थे। एक दिन यमराज अपने बहन यमुना के घर जा पहुंचे। बहन ने उनका आदर सत्कार किया। उनके मस्तक पर तिलक लगाया और अपने भाई यमराज को स्वादिष्ट भोजन कराया | इससे यमराज अत्यंत खुश हुए और बहन से वरदान मांगने को कहा।बहन यमुना ने कहा कि हमारी बस यही विनती है कि प्रत्येक वर्ष आप हमसे मिलने जरूर आए। जिससे यह दिन भाई-बहन के स्नेह का पर्व बनकर सदा याद किया जाए। बताया जाता है कि उस दिन कार्तिक शुक्ल की द्वितीया तिथि थी तभी से इस दिन भाई दूज मनाए जाने की शुरुआत हुई।