अपनी दुर्दशा पर आँशु बहा रही है टूटी सड़कें।

बृजमनगंज ब्लाक के कोल्हूई का टोला फूलपुर गाँव मे जाने वाली सड़क करीब आधा किलोमीटर कई वर्षों से जर्जर है।किसी जनप्रतिनिधि ने इसका कोई संज्ञान नही लिया।जानकारी के अनुसार, मामला कोल्हूई के टोला फूलपुर गांव का है। जहां के ग्रामीणों ने स्पष्ट रूप से लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने का ठान लिया है। रोड नहीं तो वोट नहीं के नारे के साथ मतदान करने से इनकार किया है। ग्रामीणों की मांग है कि आधा किलोमीटर की सड़क न बनने से वह नाराज हैं। इस रोड की हालत बेहद जर्जर है। जो राहगीरों की परेशानी का कारण है।ऐसे में इस गांव में चुनाव का बहिष्कार होने से चुनाव को लेकर कोई सरगर्मी नहीं रहेगी।मामले में गॉव के मुमताज ने कहा कि गांव में सड़क की दुर्दशा को लेकर सभी ग्रामीण दुखी हैं। सभी ने रात में बैठक कर सर्वसम्मति से चुनाव बहिष्कार का निर्णय लिया है।करीब दो वर्ष पहले ग्रामीणों ने बैनर लगा के किसी उम्मीदवार को मत न देने का फैसला लिया जिसके बाद जनप्रतिनिधियों के समझाने से मत देने को राजी हुए।फूलपुर की सड़कें अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है। पहले से ही सड़कों की हालत खराब थी। उसके बाद भी गाड़ी आने जाने से खराब हो गयी। इसकी वजह से दिन से लेकर रात तक राहगीर इन सड़कों पर निकलते समय जूझते रहते हैं। कई वाहन सवार भी अनियंत्रित होकर गिरकर जख्मी हो चुके हैं किसी का हाथ टूटा किसी को चोटे आयी प्रशव के लिए अस्पताल ले जाने में काफी समस्या का सामना करना पड़ता है। इसके बावजूद किसी जनप्रतिनिधि या पीडब्लूडी ने सड़क के तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। इससे राहगीरों का जर्जर सड़कों से निकलना दुश्वार हो गया है।लोगो कहना है कि जनप्रतिनिधि वोट मांगते वक्त बड़े वादे करते हैं।लेकिन जीतने के बाद वह सारे वादे भूल जाते हैं। जनता इस भरोसे प्रत्याशी को वोट देती है ।कि चुनाव जीतने के बाद उनके क्षेत्र प्रमुख समस्याओं का सबसे पहले निराकरण होगा। लेकिन यहां तो प्रमुख समस्या तो दूर छोटी समस्याओं के बारे में भी जनप्रतिनिधि नहीं सोच रहे हैं। ग्रामीण इसरार ने बताया कि करीब कई वर्ष से यह रोड खराब है। लेकिन आज तक बस वादा रह गया जब विधायक से बात हुआ तो कहते है। प्रस्ताव हो गया एक हप्ते में शुरु हो जाएगा करीब एक साल हो गया। बस हवा में प्रस्ताव है। वही मुमताज ने बताया कि जब हम लोग अगर बारिश हो जाती है। तो हम लोगो को आने जाने में बहुत कठनाईयों का सामना करना पड़ता है।
सुनील पांडेय की रिपोर्ट