कुशीनगरउत्तर प्रदेश

मधुर साहित्यिक सामाजिक काव्य संस्था की 103वी गोष्ठी सम्पन्न।

नसरुल्लाह अंसारी की रिपोर्ट 

कुशीनगर। मधुर साहित्य सामाजिक काव्य संस्था की 103 वी कवि गोष्ठी रविवार को स्थानीय बाजार स्थित मधुसूदन पाण्डेय के आवास पर सम्पन्न हुई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अर्शी वस्तवी व विशिष्ट‌ अतिथि हास्य व्यंग कवि जगदीश खेतान रहे।
मां सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुभारंभ हुई। इसके बाद
उग्गम चौधरी ने दियवा घिउवा में
जरवली दर्शन देद हो म‌इया सरस्वती वंदना सुनाया। इसके बाद मधुसूदन पाण्डेय ने चाह चहकत चांदनी संग कनखी निहार। नेति नियत चांल चलन अब से सुधार के बाद
देवेश पाण्डेय ने नौकरी नहीं है यह, यह तो जिम्मेदारी है सुनाया। इसके बाद जगदीश कुशवाहा ने भोजपुरी रचना स‌इया मिलल गजब देहाती हमत खुद शहर की बिटिया सुनाया। इसके बाद गोमल यादव ने हिन्दी से है हिन्दुस्तान ये भारत की है पहिचान‌ के बाद
वैरागी ने है तू नटखठ नन्दलाल
मोहन मूरत सावरी सूरत नैन विसाल सुनाकर वाहवाही बटोरी। दयानन्द सोनी ने हमरा से भ‌इल का कसूर कि भ‌इलू बेवफाई गोरिया। इसके बाद जगदीश खेतान बबुआ हो तू कवले होइब फेल। एम ए के कवले कसब नकेल सुनाया। इसके बाद आफताब ने कुछ लोग करते प्यार का ब्यापार है,भोली भाली लड़कियां इनकी शिकार‌ है सुनाकर लोगों को जगाने का प्रयास किया। अर्शी वस्तवी ने शेर कहने वास्ते यारों खून जलाना पड़ता है।
और शायरी को निखारने के लिए दिन को रात बनाना पड़ता है। अंत मे आर के भट्ट ने
तुझको देखा तो मुझको याद आया
वो जमाना बहुत बाद आया सुनाया। गोष्ठी की अध्यक्षता आर के भट्ट बावरा व संचालन
मधुसूदन पाण्डेय ने किया। इस दौरान पंकज पांडेय, रजत सिंह, आराधना पाण्डेय, अजय सिंह आर डी एन श्रीवास्तव आदि उपस्थित रहे।

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