एक साल बाद भी खेल मैदान का निर्माण अधूरा, कैसे निखरेंगी खेल प्रतिभा

परसामलिक।ग्रामीण क्षेत्रों में दबी खेल प्रतिभाओं को निखारने के उद्देश्य से सरकार युवाओं को प्रोत्साहित कर रही हैं।इसके लिए चयनित गांवों में खिलाड़ियों के लिए खेल के मैदान का निर्माण कराया जा रहा है। लेकिन अफसरों की उदासीनता के कारण खेल मैदान एक साल बाद भी अधूरा हैं। आलम यह है कि लाखों खर्च होने के बाद भी खेल के मैदान में बच्चों व युवाओं का खेलना दूर, टहलने लायक भी नहीं है।निचलौल ब्लॉक अंतर्गत इंडो नेपाल सीमा से सटे ग्राम पंचायत ठूठीबारी में खेलकूद का आधारभूत ढांचा मजबूत करने के साथ ही साथ खेल प्रतिभाओं को परखने और उनके हुनर को निखारने के पर्याप्त अवसर देने के लिए लगभग 13 लाख की लागत से खेल मैदान का निर्माण मनरेगा के तहत कराया गया जिसका शिलान्यास ग्राम प्रधान अजीत कुमार उर्फ अजय कुमार व तत्कालीन सेक्रेटरी अब्दुल्लाह ने सितंबर 2022 में किया था। एक साल में खेल के मैदान के निर्माण में लाखों खप गये लेकिन खेल मैदान अपने मूल अस्तित्व में नहीं आ पाया जिससे बच्चे खेल सकें। अधूरे पड़े खेल मैदान में खेलना तो दूर पैदल चलना भी मुश्किल है।अभी ग्राउंड की समतलीकरण , गेट सहित कई काम अधूरे है। बताया जा रहा है कि बीच मे धनाभाव के कारण निर्माण काफी दिनों तक रुका हुआ था। मनरेगा के तहत हो रहे खेल मैदान के निर्माण काल के दौरान ग्रामीणों ने उच्चाधिकारियों से गुणवत्ता विहीन निर्माण की भी शिकायत की वही बाउन्ड्रीवाल निर्माण में दोयम दर्जे के ईंट व चंदन नदी के घटिया किस्म के बालू के इस्तेमाल के भी आरोप लगे। ग्रामीण युवाओं का कहना है कि खेल मैदान निर्माण होने पर आश जगी थी। कि खेल के हुनर को निखारने का स्थान मिलेगा। खेल संसाधनों की उपलब्धता से प्रतिभा और उभरेगी, लेकिन खेल मैदान के निर्माण की धीमी रफ्तार को देखकर निराशा ही हाथ लगी।