समय से पहचान और इलाज न होने पर दिव्यांगता का शिकार बना देता है कुष्ठ रोग
गंभीर स्थितियों से बच सकते हैं दिव्यांग कुष्ठ रोगी
कुशीनगर ।दिव्यांग कुष्ठ रोगियों को प्रतिदिन स्वरक्षा अभ्यास करना चाहिए और अपने घावों के प्रति सतर्क रहना चाहिए। ऐसा करने से गंभीर स्थितियों से बचा जा सकता है । उक्त बातें प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सुकरौली के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डाॅ.धर्मेन्द्र तिवारी ने अस्पताल परिसर में कुष्ठ से दिव्यांग हुए रोगियों को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि समय से पहचान और इलाज हो जाने से कुष्ठ के कारण होने वाली दिव्यांगता से बच सकते हैं।कुष्ठ विभाग के एनएमएस रमेश प्रसाद त्रिपाठी ने बताया कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ.सुरेश पटारिया के दिशा निर्देशन में प्रत्येक ब्लॉक में सेवा दिवस आयोजित कर दिव्यांग कुष्ठ रोगियों को प्रभावित अंग की देखभाल करने के बारे में बताया जाता है। सुकरौली पीएचसी परिसर में आयोजित कैंप में 20 दिव्यांग कुष्ठ रोगियों ने हिस्सा लिया । कैम्प के जरिये सेल्फ केयर किट, एमसीआर चप्पल देने के अलावा व्यायाम के बारे में भी बताया जाता है । कुष्ठ से अंगुलियों की दिव्यांगता के मामलों में दो वर्ष के भीतर सर्जरी कराई जा सकती है। यह सर्जरी 50 वर्ष से कम उम्र तक ही संभव है । सर्जरी की सुविधा तो सरकारी प्रावधानों के तहत उपलब्ध है ही, इसके मरीज को 12000 रुपये श्रम ह्रास के लिए दिये जाते हैं ।उन्होंने कहा कि कुष्ठ दिव्यांग रोगियों के लिए समय समय पर पीओडी कैंप आयोजित किये जाते हैं । कैंप में कुष्ठ रोगियों को एमसीआर चप्पल, सेल्फ केयर किट, दवा आदि सामग्री उपलब्ध कराई जाती है। कुष्ठ रोगियों को दिव्यांगता प्रबन्धन का तरीका भी बताया जाता है।अभिमन्यु बताते हैं कि वर्ष 2006 में उनके बायें हाथ में गोल गोल धब्बा हो रहा था, परिवार दाद दिनाय समझ कर दवा करा रहे थे, कोई फायदा नहीं हो रहा था। वर्ष 2009 तक दवा चली। फायदा न होते देख दवा बंद कर दिया। धीरे-धीरे अंगुलियां भी टेढ़ी होने लगी। वर्ष 2017 में कुष्ठ विभाग के नान मेडिकल सुपरवाइजर रमेश प्रसाद त्रिपाठी सरकारी अस्पताल से दवा कराने की सलाह दी। उनके कहने परप्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सुकरौली गया। वहा वर्ष 2018 में दवा शुरू हुई तो छह माह में दवा खाकर ठीक हो गए। श्री त्रिपाठी ने दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनवा दिया। अब प्रति माह 3000 रूपये पेंशन के तौर पर मिल रहा है।
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लक्षण दिखते ही करें सम्पर्क
सुकरौली के एएनएस श्री त्रिपाठी ने बताया कि अगर शरीर पर कोई सुन्न दाग धब्बा है जो चमड़े से हल्के रंग का है तो यह कुष्ठ हो सकता है । इसकी जांच हो जाने पर सम्पूर्ण इलाज उपलब्ध है । दवाएं भी ब्लॉक स्तर से मिल जाती हैं । प्रारंभिक लक्षण दिखने के बाद भी लापरवारी बरतने पर कुष्ठ दिव्यांग बना सकता है । दिव्यांग कुष्ठ रोगी सामान्य पानी में अपने प्रभावित अंग को भिगो कर तेल लगाते हैं तो घाव बनने की आशंका कम हो जाती है । इस स्वरक्षा अभ्यास को प्रतिदिन करना चाहिए।