कुशीनगरउत्तर प्रदेश

राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण

नसरुल्लाह अंसारी की रिपोर्ट

*कुशीनगर।* शिक्षक, सभ्य एवं शांतिपूर्ण राष्ट्र का निर्माता है। प्रत्येक शिक्षक को छात्रों को सुंदर एवं सुरक्षित भविष्य देने के लिए उनके कोमल मन में भारतीय संस्कृति और सभ्यता के रूप में ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के विचार का बीज रोपित करना चाहिए। शिक्षक की भूमिका छात्रों को सिर्फ पढ़ाने तक ही सीमित नहीं है। पढ़ाई के अलावा छात्रों के सामाजिक जीवन से संबंधित दायित्वों का बोध कराना तथा उन्हें समाज निर्माण के योग्य बनाना भी शिक्षक का ही कार्य है। भविष्य में ऐसे ही छात्र राष्ट्र के विकास का आधार बनते हैं। प्रत्येक शिक्षक का राष्ट्र सेवा के प्रति यही सबसे बड़ा योगदान है।
यह बात पूर्व प्रधानाचार्य एखलाक अहमद ने शिक्षक दिवस के अवसर पर छात्रों को संबोधित करते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के मानसिक विकास में शिक्षक की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है। एक निपुण शिक्षक अपनी शिक्षण शैली से विद्यार्थियों में राष्ट्रीयता की भावना का विकास सबसे बेहतर ढंग से कर सकता है। शिक्षक यदि चाहे तो उसका छात्र देश का सर्वश्रेष्ठ नागरिक बन सकता है। भारत सहित विश्व में जितने भी महान लोग हुए हैं वह अपने गुरु की शिक्षा की बदौलत ही सर्वश्रेष्ठ बन पाए हैं। छात्र के मन में राष्ट्रीयता का भाव शिक्षक ही जागृत कर सकते हैं। राष्ट्रीयता का भाव ही विद्यार्थियों को देशभक्त और आदर्श नागरिक बनाता है। इसी भाव की वजह से राष्ट्रीय एकता की भावना जागृत होती है। किसी भी राष्ट्र का स्वतंत्र अस्तित्व उसके आदर्श नागरिकों पर ही निर्भर करता है। प्रत्येक अच्छा नागरिक राष्ट्र के विकास में सहायक होता है। शिक्षक, अबोध बालकों को अच्छा नागरिक बनाकर राष्ट्र निर्माण के अपने दायित्व का निर्वाह करता है। राष्ट्र के चौमुखी विकास के लिए उसके भावी नागरिकों को तैयार करने में शिक्षकों की ही भूमिका सर्वोपरि होती है।

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