लोक परंपराओं से लोकजीवन को जोड़ती है कजरी- ज्ञानवर्धन गोविंदराव
नसरुल्लाह अंसारी की रिपोर्ट
कुशीनगर।लोक मंजरी संस्था के द्वारा कप्तानगंज के शकुंतला मेरे घर में रविवार को दिन में 11:00 बजे से “कजरी महोत्सव “का आयोजन किया गया है। विगत वर्ष का महोत्सव रामकोला के गोविंद मैरिज हाल में आयोजित किया गया था। कार्यक्रम के संयोजक समाजसेवी ज्ञानवर्धन गोविंदराव ने जानकारी देते हुए बताया कि इस वर्ष यह आयोजन 30 जुलाई रविवार को दिन में 11:00 बजे से कप्तानगंज के शकुंतला मैरिज हाल में आयोजित है।उन्होंने जानकारी देते हुए बताया के भोजपुरी लोक संस्कृति में कजरी गीतों का विशेष महत्व है ।भोजपुरिया लोक परंपरा में पड़ रही रिमझिम फुहारों के साथ श्रावण मास में पेड़ों की डाल पर झूला झूलना और झूला झूलती हुई सखियों के द्वारा पारंपरिक कजरी गाने की परंपरा है। कजरी गीतों में प्रिय के मिलन , बिछोह के अलावा मायके और ससुराल के बीच समन्वय बैठाते हुए स्त्रियों के मन के उदगार बहुत ही सुंदर देखने को मिलते हैं। इस प्रकार लोक परम्पाओं को लोक जीवन से कजरी जोडती है।श्री राव ने बताया कि इस कार्यक्रम में बनारसी, मिर्जापुरी ,छपरहिया, जौनपुरी, अवधि के साथ ही शास्त्रीय कजरी गायन भी प्रस्तुत किया जाएगा।