महराजगंजउत्तर प्रदेश

फाइलेरिया की संक्रमण दर जानने के लिए हो रहा नाइट ब्लड सर्वे।

महराजगंज । फरेन्दा राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मंगलवार को फरेन्दा ब्लॉक के दो गांवों में हुए तीन दिवसीय नाइट ब्लड सर्वे में लोगों के ब्लड सैम्पल लिये। जिले में फाइलेरिया रोगियों की पहचान के लिए सभी ब्लॉक के चिन्हित गांवों में नाइट ब्लड सर्वे 21 जुलाई से चल रहा है ।

फाइलेरिया की संक्रमण दर जानने के लिए हो रहा नाइट ब्लड सर्वे

राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के क्रम में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनकटी अधीक्षक डॉ एमपी सोनकर ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे के लिए सैंपल एकत्रित कर रक्त पट्टिका बनाने का काम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनकटी गौरी शंकर त्रिपाठी व सत्य प्रकाश मिश्र की टीम द्वारा किया जा रहा है। टीम में लैब टेक्नीशियन, एएनएम और आशा कार्यकर्ता को शामिल किया गया है।
फाइलेरिया संक्रमण का पता लगाने के लिए रात में ब्लड सैम्पल लिये जाते हैं क्योंकि फाइलेरिया के परजीवी (माइक्रो फाइलेरिया) रात में ही सक्रिय होते हैं। उन्होंने बताया कि इसमें 20 साल से अधिक आयु की महिलाओं एव पुरुषों का सैंपल लिया जा रहा है। सैंपल लेकर रक्त पट्टिका बनाईं जा रहीं हैं, जिनसे परजीवी होने या न होने की पुष्टि की जाएगी। यह सर्वे फाइलेरिया संक्रमण दर जानने, रोगी को खोजने, और उनका तत्काल उपचार शुरू करने के लिए किया जाता है ताकि जल्दी से जल्दी फाइलेरिया के प्रसार को रोका जा सके।

फाइलेरिया की संक्रमण दर जानने के लिए हो रहा नाइट ब्लड सर्वे

उन्होंने बताया कि सभी प्रखंड में दो-दो साइट बनाई गई हैं। एक सेंटिनेल और दूसरा रैंडम साइट। जहां पर फाइलेरिया के अधिक केस मिले हैं वहां पर सेंटिनेल साइट बनाई गई हैं। इसके अलावा ऐसी जगहों पर भी साइट बनाए जायेंगी, जहां पर फाइलेरिया के कम मरीज मिले हैं। ऐसी जगहों पर रैंडम साइट बनाई गई हैं। नाइट ब्लड सर्वे के दौरान एक साइट पर 20 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के सैम्पल लिये जा रहे हैं।

क्या है फाइलेरिया

डॉ एमपी सोनकर ने बताया कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है, जिसे सामान्यतः हाथीपाँव के नाम से भी जाना जाता है। इसके प्रभाव से पैरों व हाथों में सूजन, पुरुषों में हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) और महिलाओं में स्तन में सूजन की समस्या आती है।

लक्षण

कई दिन तक रुक-रुक कर बुखार आना।
शरीर में दर्द एवं लिम्फ नोड (लसिका ग्रंथियों) में सूजन।
हाथ, पैरों में सूजन (हाथी पांव) एवं पुरुषों के अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसील)। महिलाओं के स्तन में सूजन, पहले दिन में पैरों में सूजन रहती है और रात में आराम करने पर कम हो जाती है।
संक्रमित व्यक्ति में बीमारी के लक्षण पांच से 15 साल में दिख सकते हैं।
फाइलेरिया की संक्रमण दर जानने के लिए हो रहा नाइट ब्लड सर्वे

बचाव

लक्षण नजर आने पर समय से जांच कराकर इलाज शुरू कर दें।
पांच वर्ष तक हर साल एक बार फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन करके इस बीमारी से बचा जा सकता है।
फाइलेरिया के मच्छर गंदी जगह पर पनपते हैं। इसलिए साफ-सफाई रखें और मच्छरों से बचाव करें। मच्छर से बचने के लिए पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें।
रात में सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।

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