राम बनवास का प्रवचन सुन कर नम हुई आंखें

मिठौरा में श्री श्री मृत्युंजय महायज्ञ के पांचवें दिन रविवार को अयोध्या से पधारी स्वर कोकिला अमृता त्रिपाठी ने भक्ति की गंगा बहते हुए और माता-पिता के आदेश को सर्वोपरि रखते हुए उन्होंने कथा के माध्यम से राम बनवास का कथा सुनाया। जिसमें प्रभु श्री राम मैया सीता लक्ष्मण सहित जब वन को जाने लगे तो मंत्री सुमंत सहित पूरे अयोध्या वासी अपने प्रिय प्रभु श्री राम के साथ चल दिए। श्री राम जी के बहुत समझाने के बाद भी लोग नहीं माने तो एक स्थान पर विश्राम करने लगे। जब सभी अयोध्यावासी नींद में हो गए तत्पश्चात प्रभु श्री राम अपने पिता के आज्ञा अनुसार आगे बन के लिए निकल गए। जहां पर नदी को पार करने के लिए केवट से नदी पार करने के लिए मनुहार करने लगे लेकिन केवट और राम के बीच मार्मिक संवाद होता है। श्री राम जी कहते हैं आप हमको अपने नाव से उसे पार कर दीजिए लेकिन केवट ने कहा प्रभु मैं बिना खेवाई लिए आपको नदी पार नहीं करा सकता फिर श्री राम जी कहते हैं मैं खेवाई दे रहा हूं पर आप हमको नदी पार कर दीजिए तब केवट विलाप करते हुए कहते हैं कि प्रभु आप तो संसार के खेवनहार हैं मैं आपसे कहां खेवाई ले सकता पर बिना आपके चरणों को धूले मैं नदी पार नहीं करा सकता प्रभु आप मेरी विनती स्वीकार कीजिए प्रभु यही मेरी खेवाई होगी।