मई माह में वर्षा का होना गन्ना फसल के लिए वरदान
नसरुल्लाह अंसारी की रिपोर्ट
कुशीनगर।जिले में वर्षा होने से गन्ना फसल के लिए संजीवनी, करोड़ों रुपए का डीजल बचा, किसानों के चेहरे पर दिखी खुशहाली अधिक तापक्रम होने के कारण 1 एकड़ गन्ना फसल सिंचाई के लिए 15 से 18 घंटे का समय लग रहा था, यह समय खेत की कितनी गहरी जुताई हुई है उस पर निर्भर करता है। 1 एकड़ खेत एक बार सिंचाई करने में लगभग ₹1500 का खर्चा हो रहा था, यह जानकारी गन्ना किसान संस्थान पिपराइच के सहायक निदेशक ओमप्रकाश गुप्ता ने दी।
22 व 23 मई को हुई वर्षा के कारण किसानों का करोड़ो रुपए का डीजल सिंचाई के लिए बचा है। गन्ना फसल को 800 से 1000 मिली मीटर पानी वर्षा से मिलता है। गन्ने की फसल में सिंचाई का उपज व चीनी परता बढ़ाने में महत्वपूर्ण स्थान है। जिला मौसम इकाई सरगटिया- कुशीनगर से प्राप्त जानकारी के अनुसार सेवरहीं परिक्षेत्र में लगभग 55 से 60 मिलीमीटर वर्षा हुई है। वर्षा के साथ वायुमंडल में उपस्थित नत्रजन- यूरिया गन्ना फसल व अन्य फसलों पर गिरता है, जिससे फसलों में तुरंत हरियाली दिखाई देती है। जबकि इंजन से सिंचाई करने पर ऐसा नहीं होता है। सहायक निदेशक ओमप्रकाश गुप्ता ने बताया कि रामकोला परिक्षेत्र में 38 मिलीमीटर, खड्डा परिक्षेत्र में 40 मिलीमीटर तथा हाटा क्षेत्र में 50 मिलीमीटर वर्षा हुई है।
सहायक निदेशक ओमप्रकाश गुप्ता ने बताया कि जो किसान गन्ने की सिंचाई कर यूरिया प्रयोग नहीं किए हैं, वे किसान 1 एकड़ में 50 किलोग्राम यूरिया शाम के समय प्रयोग करें। अप्रैल मई-जून गन्ने के जीवन चक्र में निर्माण अवस्था होती है, इस समय किल्ले निकलते हैं व सर्वाधिक पानी की आवश्यकता होती है। मध्य जून में से वर्षा प्रारंभ हो जाती है, जिससे वर्षा काल में 80% गन्ने की बढ़वार होती है। गन्ना C4 प्लांट है, इसलिए इसे अधिक पानी की आवश्यकता होती है। वर्तमान में जलवायु परिवर्तन हो रहा है, वर्षा कब होगी कितनी होगी किसी को पता नहीं है। कुशीनगर जिले में विगत वर्ष में असमय आवश्यकता से अधिक वर्षा होने से गन्ना फसल को भारी नुकसान हुआ था।