कुशीनगर ।जन्मजात कटे होंठ और तालू की समस्या से पीड़ित आर्यन को अब इन बीमारियों से मुक्ति मिल चुकी है। इसका नतीजा है कि वह धीरे-धीरे स्तनपान की कोशिश कर रहा है। अभी मां का दूध कई बार निकाल कर पिलाया जाता है। लेकिन जल्द ही वह खुद से मां का दूध पीकर पोषण पा सकेगा। पांच माह का आर्यन इससे पहले इन बीमारियों के कारण स्तनपान नहीं कर पाता था । इससे वह कुपोषित भी हो गया था।दुदही ब्लाॅक के पडरौना मदुरही गांव के निवासी आर्यन के पिता उपेन्द्र ने बताया कि वह 26 दिसम्बर 2022 को रिस्तेदारी के कोरया गांव में पैदा हुआ। वह जन्मजात कटे होंठ एवं तालू की बीमारी से ग्रसित था। उसे देखकर पूरे परिवार के मन में तरह-तरह के ख्याल आ रहे थे। परिवार के लोग परेशान रहते थे। कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें? बीमारी कैसे ठीक होगी?इसी बीच आरबीएसके के चिकित्सक डाॅ.सुभाष यादव 30 दिसम्बर को अपने टीम के साथ क्षेत्र भ्रमण के दौरान कोरया गांव आए और वहां आशा कार्यकर्ता रीना कुशवाहा तथा एएनएम मीरा देवी से कहा कि अगर क्षेत्र में कहीं कि जन्मजात बीमारी से ग्रसित कोई बच्चा पैदा हो तो इसकी सूचना आरबीएसके टीम को अवश्य दें।आशा और एएनएम ने उन्हें बताया कि कोरया गांव में ही एक ऐसा बच्चा पैदा हुआ है जिसका होंठ और तालू कटा है। डाॅ. सुभाष यादव ने बताया कि इस सूचना पर वह अपनी टीम के साथ 30 जनवरी 2022 को बच्चे को देखने ग्राम कोरया गए। स्वास्थ्य परीक्षण कर इसकी सूचना स्माइल ट्रेन संस्था को दिया। तो दस जनवरी 2023 को संस्था की एम्बुलेंस बच्चे को गोरखपुर के निजी अस्पताल पर ले जाने के लिए ग्राम कोरया पहुंची।अस्पताल में स्वास्थ्य परीक्षण कर बताया कि अभी बच्चे का वजन कम है आवश्यक दवा एवं सलाह देकर यह कह कर घर भेज दिया कि जब बच्चे का वजन छह किग्रा से अधिक हो जाए तब लाना है। इसके बाद वह बच्चे को 12 फरवरी को हाॅस्पिटल ले गये तो कम वजन के कारण ही दोबारा वापस कर दिया गया।उपेन्द्र ने बताया कि जब तीन मई 2023 को बच्चे के साथ अस्पताल गए तो उसे भर्ती कर पांच मई को आपरेशन किया गया और छह मई को बच्चे को डिस्चार्ज कर दिया गया।उपेन्द्र ने बताया कि प्रसव के एक माह पहले उन्होंने पत्नी को कोरया गांव में अपनी रिस्तेदारी में पहुंचा दिया था ताकि अच्छे से देखभाल हो सके। वहीं पर आर्यन पैदा हुआ। जन्मजात विकृति के कारण आर्यन मां का दूध नहीं पी पाता था। मजबूरी में उसे बाहर का दूध पिलाना पड़ता था। अब वह स्तनपान की कोशिश कर रहा है।उपेन्द्र ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान वह पत्नी की जांच तो कराते थे लेकिन तबीयत खराब रहने की वजह से आयरन फोलिक एसिड एवं कैल्शियम की गोली का सेवन नियमित नहीं कर पायी। आरबीएसके के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डाॅ.आरडी कुशवाहा ने बताया कि कुछ दवाएं ऐसी हैं जो गर्भावस्था में नहीं खानी चाहिए। उसके खाने से जन्मजात बीमारी हो सकती है। चिकित्सक के सलाह के बिना एक्सरे, सीटी स्कैन तथा एमआरआई नहीं करानी चाहिए। गर्भावस्था के शुरू के तीन महीनों में आयरन फोलिक एसिड की गोली गर्भवती को लेते रहना चाहिए।मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. सुरेश पटारिया ने बताया कि आरबीएसके के प्रबंधक सूर्य प्रकाश सिंह तथा आरबीएसके की टीम के प्रयास से ही बच्चे का सफल आॅपरेशन हो सका है। स्वास्थ्य विभाग ऐसे बच्चों का इलाज सरकारी प्रावधानों के तहत कराने के लिए सतत प्रयत्नशील रहता है।
आरबीएसके के तहत होता है 44 बीमारियों का इलाज
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ.सुरेश पटारिया ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत कुल 44 प्रकार की बीमारियों का इलाज कराया जाता है। इस योजना का लाभ आंगनबाड़ी केन्द्रों और सरकारी स्कूल में पंजीकृत बच्चों को विशेष तौर पर मिल रहा है। संस्थागत प्रसव के तहत जन्म लेने वाले बच्चों को भी योजना का लाभ दिया जा रहा है।
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जन्मजात बीमारी से ग्रसित बच्चों के इलाज का प्रावधान
आरबीएसके के जिला प्रबंधक सूर्य प्रकाश सिंह ने जन सामान्य से अपील की है कि दिल की बीमारी, होठ एवं तालू कटे जैसी बीमारियों का इलाज सरकारी अस्पताल पर कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग की आरबीएसके टीम से सम्पर्क करें। जिले में आरबीएसके की कुल 28 टीम कार्य करती है। हर ब्लॉक में दो टीम लगायी गयी है। आरबीएसके प्रबंधक ने बताया वर्ष 2023 में कुशीनगर जनपद में होंठ और तालू कटे जैसी बीमारियों से ग्रसित कुल नौ बच्चे चिन्हित किए हैं, इनमें से तीन बच्चों की सर्जरी हो चुकी है।
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