गाजे-बाजे के साथ निकली भगवान परशुराम की शोभायात्रा।

महराजगंज । फरेंदा बड़े धूमधाम से मनाया गया भगवान परशुराम का जन्म उत्सव । अक्षय तृतीया का पर्व है और इस तिथि पर भगवान विष्णु के सभी दस अवतारों में छठें अवतार माने गए भगवान परशुराम की जंयती भी मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर भगवान परशुराम का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। भगवान परशुराम महर्षि जमदग्नि और रेणुका की संतान हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान परशुराम का प्राकट्य काल प्रदोष काल में हुआ था और ये 8 चिरंजीवी पुरुषों में एक हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान परशुराम आज भी इस धरती पर मौजूद हैं। परशुराम जयंती और अक्षय तृतीया पर किया गया दान-पुण्य कभी क्षय नहीं होता। अक्षय तृतीया के दिन जन्म लेने के कारण ही भगवान परशुराम की शक्ति भी अक्षय थी। 8 चिरंजीवियों में भगवान परशुराम समेत महर्षि वेदव्यास, अश्वत्थामा, राजा बलि, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य और ऋषि मार्कंडेय हैं जो आज भी इस कलयुग में विचरण कर रहे हैं। शास्त्रों में अष्टचिरंजीवियों का वर्णन कुछ इस तरह से मिलता है।अश्वत्थामा बलिव्यासो हनूमांश्च विभीषण:। कृप: परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविन:॥सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्। जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।अर्थात: अश्वथामा, दैत्यराज बलि, वेद व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और मार्कण्डेय ऋषि, इनका रोज सुबह जाप करना चाहिए। इनके जाप से भक्त को निरोगी शरीर और लंबी आयु मिलती है।अश्वत्थामा- गुरु द्रोणाचार्य का पुत्र अश्वथामा भी चिरंजीवी है। शास्त्रों में अश्वत्थामा को भी अमर बताया गया है।राजा बलि- भक्त प्रहलाद के वंशज हैं राजा बलि।भगवान विष्णु के भक्त राजा बलि भगवान वामन को अपना सबकुछ दान कर महादानी के रूप में प्रसिद्ध हुए। इनकी दानशीलता से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने इनका द्वारपाल बनना स्वीकार किया था।हनुमानजी- त्रेता युग में श्रीराम के परम भक्त हनुमानजी को माता सीता ने अजर-अमर होने का वरदान दिया था। इसी वजह से हनुमानजी भी चिरंजीवी माने हैं ।ऋषि मार्कंडेय- भगवान शिव के परमभक्त ऋषि मार्कंडेय अल्पायु थे, लेकिन उन्होंने महामृत्युंजय मंत्र सिद्ध किया और वे चिरंजीवी बन गए।वेद व्यास- वेद व्यास चारों वेदों ऋग्वेद, अथर्ववेद, सामवेद और यजुर्वेद का संपादन और 18 पुराणों के रचनाकार हैं।परशुराम- भगवान विष्णु के दशावतारों में एक हैं परशुराम। परशुरामजी ने पृथ्वी से 21 बार अधर्मी क्षत्रियों का अंत किया गया था।विभीषण- रावण के छोटे भाई और श्रीराम के भक्त विभीषण भी चिरंजीवी हैं।कृपाचार्य- महाभारत काल में युद्ध नीति में कुशल होने के साथ ही परम तपस्वी ऋषि है। कृपाचार्य कौरवों और पांडवों के गुरु है। फरेंदा तहसील क्षेत्र के विष्णु मंदिर चौराहे पर भगवान परशुराम के मूर्ति का अनावरण हुआ । विभिन्न जनपदों से आए विप्र बंधुओं ने भगवान परशुराम की शोभायात्रा निकाली फरेंदा के विभिन्न चौराहे से गुजरते हुए विष्णु मंदिर पर आकर समापन किया गया । बाबा विश्वनाथ मंदिर से आए विभिन्न कलाकारों ने भगवान की आरती सहित तमाम कला प्रस्तुत कर लोगों को मन मुग्ध किए ।इस मौके पर स्टार हॉस्पिटल प्रबंधक नीना चतुर्वेदी/ अरुन चतुर्वेदी ,अमुक्त पांडे ,अरविंद दुबे ,अरुण दुबे ‘ पूर्व विधायक विनोद तिवारी,राहुल पांडे , केशव मिश्र,अमृत त्रिपाठी,विशुन देव त्रिपाठी ,केसरी नंदन त्रिपाठी,देवनंदन त्रिपाठी, सुधाकर चौबे,सुनील पांडे ,आदित्य मिश्र, रघुवर मिश्र,अरविंद मिश्र ‘ विश्वमित्र मिश्र ,अरविंद दुबे,भोले चौबे ,राहुल चौबे सहित हजारों की संख्या में विप्र बंधु मौजूद रहे।